महाराष्ट्र में महा विकास आघाडी सरकार के सामने सियासी संकट खड़ा करने वाले कैबिनेट मंत्री एकनाथ शिंदे की सियासी कहानी बेहद दिलचस्प है। एकनाथ शिंदे को शिवसेना का संकटमोचक कहा जाता है।
कहा जाता है कि जब तक शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे जीवित थे तब तक महाराष्ट्र में वह तमाम बड़े फैसलों में एकनाथ शिंदे की राय लिया करते थे। बाला साहेब ठाकरे के निधन के बाद भी एकनाथ शिंदे का शिवसेना में बड़ा वजूद बना रहा।
एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे कल्याण सीट से लोकसभा सांसद हैं और उनके भाई प्रकाश शिंदे नगर निगम के पार्षद हैं। एकनाथ शिंदे को पार्टी के बड़े कार्यक्रम करने की जिम्मेदारी दी जाती रही है और वह शिव सैनिकों के बीच खासे लोकप्रिय भी हैं। शिंदे के पास महा विकास आघाडी सरकार में नगरीय विकास और शहरी मामलों जैसा अहम मंत्रालय है।
एकनाथ शिंदे मूल रूप से महाराष्ट्र के सतारा जिले से आते हैं और 70 के दशक में उनका परिवार ठाणे में शिफ्ट हो गया था।
80 के दशक में शिवसेना के साथ जुड़ने से पहले एकनाथ शिंदे ने ऑटो रिक्शा चलाने से लेकर शराब की भट्ठी तक में काम किया और मछली पालन का भी काम किया।
आनंद दिघे ने बढ़ाया आगे
एकनाथ शिंदे ठाणे में शिवसेना के तत्कालीन जिला अध्यक्ष रहे आनंद दिघे के नजदीकी बन गए थे। दिघे ने शिंदे को आगे बढ़ाया और शिंदे को 1997 में ठाणे नगर निगम में पार्षद बनाने में भी उनकी अहम भूमिका रही।
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शिंदे को आनंद दिघे की ही तरह कम बोलने वाला और काम करने वाला नेता माना जाता है। शिंदे आंदोलनकारी और जुझारू नेता हैं और अब तक वह शिवसेना के प्रति बेहद वफादार रहे हैं।
गठबंधन से खुश नहीं थे शिंदे
साल 2014 में शिवसेना ने उन्हें महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष का नेता भी बनाया था। 2019 में जब शिवसेना और बीजेपी का गठबंधन टूटा और शिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बनाई तो उस समय बात सामने आई थी कि शिंदे इस राजनीतिक गठबंधन को लेकर खुश नहीं हैं।
महाराष्ट्र की सियासत में ऐसा कहा जाता है कि जिस तरह उद्धव ठाकरे खुद मुख्यमंत्री बने और उन्होंने अपने बेटे आदित्य ठाकरे को कैबिनेट मंत्री बनाकर संगठन और सरकार में आगे बढ़ाया, वह बाला साहेब ठाकरे की राजनीतिक शैली के विपरीत था क्योंकि बाल ठाकरे ने कभी भी सरकार में कोई पद नहीं लिया। इसे लेकर पुराने शिव सैनिक हैरान थे।
द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, एकनाथ शिंदे इस बात से भी नाराज थे कि शिवसेना ने उनके इस सुझाव को दरकिनार कर दिया कि पार्टी को ठाणे नगर निगम का चुनाव अपने दम पर लड़ना चाहिए। शिवसेना ने शिंदे से कहा था कि पार्टी ठाणे नगर निगम का चुनाव एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ेगी।
इस साल फरवरी में महाराष्ट्र के कुछ इलाकों में शिव सैनिकों की ओर से लगे पोस्टर में एकनाथ शिंदे को महाराष्ट्र के भावी मुख्यमंत्री के रूप में दिखाया गया था। इसे लेकर भी शिव सैनिकों के बीच में तमाम तरह की चर्चाएं हुई थी।
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