लगभग हर दिन अपनी सियासत को लेकर सुर्खियां बटोरने वाले महाराष्ट्र में इन दिनों भी बहुत कुछ पकता दिखाई दे रहा है। जांच एजेंसी ईडी ने बुधवार को राज्य के बड़े नेता एकनाथ खडसे के दामाद गिरीश चौधरी को गिरफ़्तार कर लिया है। खडसे कुछ महीने पहले ही बीजेपी छोड़कर एनसीपी में आए थे और तब उन्होंने कहा था कि अगर उनके पीछे ईडी लगाई तो तुम्हारी सीडी चला दूंगा।
खडसे का साफ इशारा बीजेपी की ओर था क्योंकि महाराष्ट्र के विपक्षी नेता यह आरोप लगाते रहते हैं कि बीजेपी की क़यादत वाली केंद्र सरकार उन्हें परेशान करने के लिए सीबीआई, ईडी, इनकम टैक्स जैसी बड़ी जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करती है।
दामाद की गिरफ़्तारी के बाद ईडी ने खडसे को भी पूछताछ के लिए पेश होने को कहा है और उन्हें समन भेज दिया है।
बहरहाल, ईडी ने मंगलवार को खडसे के दामाद को पूछताछ के लिए बुलाया था और कई घंटों तक उनसे सवाल पूछे गए। इसके बाद उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया। खडसे भी इस मामले में अभियुक्त हैं और ईडी ने इस साल जनवरी में उनके बयान दर्ज किए थे।
क्य है पूरा मामला?
यह मामला 2016 का है, जब खडसे देवेंद्र फडणवीस की सरकार में राजस्व मंत्री थे। खडसे पर आरोप है कि उन्होंने अपने पद का फ़ायदा उठाते हुए कुछ सरकारी अफ़सरों पर दबाव बनाया कि वे पुणे के भोसारी इलाक़े में महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम के 3.1 एकड़ का एक प्लॉट उन्हें 3.75 करोड़ रुपये में देने को मंजूरी दे दें जबकि उस वक़्त बाज़ार में इसकी क़ीमत 31.01 करोड़ थी।
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यह प्लॉट मूल रूप से अब्बास उकानी नाम के शख़्स का था लेकिन इसे महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम ने 1971 में अधिगृहीत कर लिया था और इसके मुआवज़े का मामला अदालत में लंबित था।
खडसे के द्वारा इस संबंध में 12 अप्रैल, 2016 को कुछ अफ़सरों की बैठक बुलाई गई थी और कुछ दिन बाद ही उकानी ने खडसे की पत्नी और दामाद के पक्ष में इस प्लॉट का बिक्री पत्र लिख दिया था।
दर्ज हुई थी एफ़आईआर
इसके बाद एक बिल्डर ने खडसे के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार की शिकायत दर्ज कराई थी और तब इस मामले को लेकर काफ़ी शोर भी हुआ था। इसके बाद खडसे को मंत्री के पद से हटा दिया गया था। मामले में 2017 में बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश पर खडसे, उनकी पत्नी मंदाकिनी और दामाद गिरीश चौधरी के ख़िलाफ़ एसीबी ने एफ़आईआर दर्ज की थी।
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देशमुख पर कसता शिकंजा
बीते कुछ दिनों में हुए राजनीतिक वाकयों को खडसे के दामाद की गिरफ़्तारी से जोड़कर देखें तो यह सवाल उभर कर आता है कि क्या एनसीपी पर दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है। क्योंकि पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को ईडी उसके सामने पेश होने के लिए धड़ाधड़ नोटिस भेज रही है लेकिन देशमुख अपनी सेहत का हवाला देकर इससे बच रहे हैं।
100 करोड़ रुपये की वसूली के मामले में ईडी ने अनिल देशमुख और उनके निजी सहायकों के घरों पर छापेमारी की थी। इसके बाद मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों को लेकर 26 जून को देशमुख के निजी सचिव संजीव पलांडे और निजी सहायक कुंदन शिंदे को गिरफ्तार कर लिया था।
अजित पवार की संपत्तियां जब्त
1 जुलाई को ईडी ने महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक (एमएससीबी) घोटाले के मामले में महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार की 65 करोड़ रुपये की संपत्तियों को जब्त कर लिया था। इन संपत्तियों में ज़मीन, इमारत, सतारा में लगी सहकारी शुगर मिल शामिल हैं।
शरद पवार की सक्रियता
चाहे खडसे हों या फिर अनिल देशमुख या अजित पवार तीनों का ही महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा क़द है। तीनों ही नेता एनसीपी में हैं। एनसीपी महाराष्ट्र सरकार में तो शामिल है ही इसके मुखिया शरद पवार की राजनीतिक सक्रियता ने भी बीजेपी के ख़िलाफ़ 2024 में बनने वाले किसी तीसरे मोर्चे की बहस को जन्म दे दिया है।
अगर यह एनसीपी को दबाव में लिए जाने की कोशिश है तो आने वाले दिनों में महा विकास आघाडी सरकार बनाम बीजेपी-केंद्र सरकार के बीच घमासान और तेज़ हो सकता है।
फडणवीस से 36 का आंकड़ा
महाराष्ट्र बीजेपी में देवेंद्र फडणवीस के उभार के बाद से ही हाशिए पर डाल दिए गए खडसे ने एनसीपी में शामिल होते वक़्त कहा था कि फडणवीस ने उनका जीवन बर्बाद कर दिया और वे चार साल तक मानसिक तनाव में रहे। खडसे के जाने के बाद महाराष्ट्र बीजेपी को बड़ा झटका लगा था क्योंकि खडसे राज्य में ओबीसी के बड़े नेता थे।
बीते कुछ दिनों में हुई ताबड़तोड़ मुलाक़ातों और महाराष्ट्र विधानसभा में बीजेपी के 12 विधायकों को एक साल के लिए निलंबित किए जाने के कारण भी राज्य की सियासत में खलबली मची हुई है।
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