क्या केयर्न एनर्जी अब विदेशों में स्थित भारत की 20 जायदादों पर कब्जा कर लेगा? ऐसा हुआ तो भारत की साख का क्या होगा?
ब्रिटिश ऊर्जा कंपनी केयर्न एनर्जी और भारत सरकार के बीच बकाया टैक्स को लेकर पहले से चल रहा विवाद और गहरा हो गया है। भारत को एक ज़ोरदार झटका लगा जब एक फ़्रांसीसी अदालत ने केयर्न एनर्जी को विदेशों में स्थित भारत की 20 संपत्तियों पर कब्जा कर लेने की इज़ाज़त दे दी।
फ़्रांस की अदालत ने 11 जून को केयर्न एनर्जी को भारत सरकार की संपत्तियों के अधिग्रहण का आदेश दिया था, जिनमें ज्यादातर फ्लैट शामिल थे। इससे जुड़ी क़ानूनी प्रक्रिया बुधवार को पूरी हो गई।
एअर इंडिया पर पड़ेगा असर?
हालांकि केयर्न भारतीय कर्मचारियों को उन संपत्तियों से बाहर नहीं निकाल पाएगा, पर भारत इन जायदादों को बेच भी नहीं पाएगा।
जब भारत एअर इंडिया बेचने की प्रक्रिया शुरू करेगा तो उसके तहत इस कंपनी की विदेश स्थित संपत्तियाँ नहीं जोड़ी जाएंगी। इससे एअर इंडिया की कीमत कम आँकी जाएगी और उसकी साख पर भी बट्टा लगेगा।
क्या है मामला?
इसके पहले आर्बिट्रेशन ट्राइब्यूनल यानी मध्यस्थता पंचाट ने दिसंबर में भारत सरकार को आदेश दिया था कि वह केयर्न एनर्जी को 1.7 अरब डॉलर से अधिक का ब्याज और जुर्माना चुकाए।
भारत सरकार ने इस आदेश को खारिज कर दिया था, इसके बाद केयर्न एनर्जी ने भारत सरकार की संपत्ति को जब्त कर बकाया रकम की वसूली के लिए विदेशों में कई न्यायालयों में अपील की थी।
बता दें कि भारत सरकार ने केयर्न को टैक्स लगाने से पहले की तारीख से उसे मानने को कहा था और उस हिसाब से भुगतान नहीं करने पर उसके शेयरों पर कब्जा कर लिया था और उसके टैक्स रिटर्न को रोक दिया था।
केयर्न इसके ख़िलाफ़ अंतरराष्ट्रीय आर्बिट्रेशन पंचाट गया, जहाँ फ़ैसला उसके पक्ष में हुआ और भारत सरकार से कहा गया कि वह केयर्न को लगभग 1.7 अरब डॉलर वापस करे। इसमें जुर्माना भी शामिल है।
कैपिटल गेन्स टैक्स का मामला
बता दें कि केयर्न ब्रिटेन की कंपनी है। उसने 2007 में भारत में अपनी कंपनी को सूचीबद्ध कराने के लिए आईपीओ पेश किया था। इससे एक साल पहले उसने केयर्न इंडिया के साथ भारत में अपनी कई ईकाइयों का विलय किया था, लेकिन इससे इनके मालिकाना हक में कोई बदलाव नहीं हुआ था।
केयर्न ने इसके लिए फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड से इज़ाज़त ली थी। लेकिन इसके सात साल बाद भारत सरकार ने उस पर कैपिटल गेन्स टैक्स का नोटिस भेजा।
भारत सरकार ने 2014 में केयर्न एनर्जी से कहा कि आईपीओ से पहले उसने अपनी कई ईकाइयों को केयर्न इंडिया में मिलाया था, जिससे उसे पूंजीगत लाभ यानी कैपिटल गेन हुआ है, लिहाज़ा, वह उस पर टैक्स दे।
केयर्न इंडिया ने इससे इनकार कर दिया और अदालत में सरकार को चुनौती दी।
भारत सरकार ने 10 करोड़ रुपए का कैपिटल गेन्स टैक्स नहीं चुकाए जाने पर केयर्न इंडिया के 10 फ़ीसदी शेयरों को अपने कब्जे में कर लिया। केयर्न एनर्जी इसके ख़िलाफ़ नीदरलैंड्स के हेग स्थित आर्बिट्रेशन कोर्ट गया। उसने भारत सरकार के ख़िलाफ़ फ़ैसला सुनाया और सरकार से कहा कि वह ब्याज समेत पैसा केयर्न को वापस करे।
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