महाराष्ट्र के पूर्व राजस्व मंत्री और एनसीपी नेता एकनाथ खडसे की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। गुरुवार को पुणे के भोसरी में कथित ज़मीन घोटाले के मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने खडसे से 9 घंटे से भी ज़्यादा पूछताछ की। सूत्रों का कहना है कि खडसे के जवाबों से ईडी के अधिकारी संतुष्ट नहीं हैं। इससे पहले ईडी ने बुधवार को खडसे को समन जारी कर गुरुवार को पेश होने को कहा था। ईडी अधिकारियों ने इसी मामले में खडसे के दामाद गिरीश चौधरी को दो दिन पहले ही गिरफ्तार किया था।
ईडी दफ़्तर पहुँचने के बाद खडसे ने कहा, कि जाँच में वह पूरा सहयोग करेंगे। खडसे ने बीजेपी की केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि पूरा महाराष्ट्र देख रहा है कि क्या हो रहा है, हर कोई जानता है कि यह राजनीति से प्रेरित है। उन्होंने कहा कि इस मामले की पहले ही 5 बार जाँच हो चुकी है, अब फिर से की जा रही है। खडसे ने दावा किया कि महाराष्ट्र का एंटी करप्शन विभाग पहले ही उन्हें क्लीनचिट दे चुका है। खडसे ने आरोप लगाया है कि जबसे उन्होंने बीजेपी छोड़कर एनसीपी ज्वाइन की है, तब से उन्हें फँसाने का प्रयास किया जा रहा है।
खडसे ने कहा था- ईडी आयी तो सीडी दिखाएँगे
अपने दामाद गिरीश चौधरी की गिरफ्तारी के बाद एकनाथ खडसे ने गुरुवार को एक प्रेस कांफ्रेंस करने की जानकारी दी थी। ऐसी संभावना जताई जा रही थी कि एकनाथ खडसे इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में बीजेपी से जुड़ा कोई बड़ा खुलासा कर सकते हैं। लेकिन जैसे ही प्रवर्तन निदेशालय ने बुधवार को समन भेजकर खडसे को गुरुवार को ईडी के दफ्तर में हाजिर होने के लिए कहा तो फिर इसके बाद उन्होंने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस रद्द कर दी। हालाँकि उनकी पार्टी एनसीपी की तरफ़ से कहा गया कि एकनाथ खडसे के ख़राब स्वास्थ्य के कारण प्रेस कॉन्फ्रेंस को रद्द किया गया था।
एकनाथ खडसे पिछले साल जब बीजेपी छोड़कर एनसीपी में शामिल हुए थे तो उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि अगर बीजेपी ने उनके पीछे ईडी लगाई तो फिर वह ईडी का जवाब सीडी से देंगे।
खडसे के दामाद गिरीश चौधरी की गिरफ्तारी के बाद ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि एकनाथ खडसे बीजेपी के कुछ कारनामों का खुलासा कर सकते हैं। लेकिन ईडी द्वारा समन भेजने के कारण उन्होंने अपना फ़ैसला बदल दिया।
भोसरी ज़मीन घोटाले का आरोप
महाराष्ट्र में जब बीजेपी की सरकार थी और वह देवेंद्र फडणवीस की सरकार में राजस्व मंत्री थे तो उन पर आरोप लगा था कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए पुणे के भोसरी में एमआईडीसी के 3.1 एकड़ ज़मीन को सरकारी भाव से भी कम दाम में खरीदा था। उनके ऊपर यह आरोप साल 2016 में पुणे के एक बिजनेसमैन ने लगाया था। आरोपों में दावा किया गया था कि 31 करोड़ रुपए की क़ीमत वाले प्लॉट को केवल 3.7 करोड़ रुपए में खरीदा गया था जिससे सरकार के खजाने को नुक़सान हुआ था। जबकि वहां रेडी रैकनर रेट ज़्यादा चल रहा था।
पुणे के भोसरी की यह ज़मीन अब्बास उकानी नाम के व्यक्ति की थी। जिसका साल 1971 में एमआईडीसी ने अधिग्रहण कर लिया था। हालाँकि इस मामले में उकानी को नुक़सान भरपाई देने का मुद्दा अभी भी अदालत में चल रहा है। जब खडसे राजस्व मंत्री थे तो उन्होंने 12 अप्रैल 2016 को आनन-फानन में राजस्व विभाग के अधिकारियों की एक बैठक बुलाई थी और उसमें कहा गया था कि अब्बास उकानी को उनकी ज़मीन वापस कर दी जाए। खडसे ने अधिकारियों को इस बारे में जल्द से जल्द निर्णय लेने का भी आदेश दिया था। इसके बाद एमआईडीसी ने उकानी की ज़मीन को वापस कर दिया। जैसे ही ज़मीन उकानी के नाम पर वापस आई उसके कुछ दिन के बाद ही उकानी ने यह ज़मीन खडसे की पत्नी मंदाकिनी और दामाद गिरीश चौधरी को बेच दी।
ईडी की जाँच में यह भी सामने आया है कि दरअसल उकानी को ज़मीन के बदले पैसों का लेनदेन शेल यानी फर्जी कंपनियों के ज़रिये किया गया था और यही कारण रहा कि इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के तहत कार्रवाई की जा रही है। इसी ज़मीन घोटाले में ईडी पहले ही खडसे के दामाद गिरीश चौधरी को गिरफ्तार कर चुकी है जो 12 जुलाई तक ईडी की हिरासत में हैं।
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