मुंबई की तुलना पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से करने तथा सुशांत सिंह आत्महत्या प्रकरण में महाराष्ट्र सरकार और ख़ासकर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनके मंत्री पुत्र आदित्य ठाकरे के ख़िलाफ़ सोशल मीडिया तथा गोदी मीडिया के माध्यम से बेलगाम बयानबाज़ी करने वाली रनौत बहनों- कंगना और रंगोली की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। अदालत ने इन दोनों के ख़िलाफ़ साम्प्रदायिक विद्वेष और अपमानजनक बयानबाज़ी से सम्प्रदाय विशेष की भावनाओं को आहत करने के मामले की जाँच करने का आदेश दिया है।
मुंबई महानगर दंडाधिकारी कोर्ट, अंधेरी (मेट्रोपोलिटन मॅजिस्ट्रेट अंधेरी) के न्यायाधीश भागवत झिरपे ने पुलिस को आदेश दिया कि मामले की प्राथमिक जाँच रिपोर्ट पाँच दिसंबर तक कोर्ट के समक्ष पेश की जाए।
दरअसल, इसी साल अप्रैल महीने में अधिवक्ता अली काशिफ ख़ान देशमुख ने मुंबई के आंबोली पुलिस स्टेशन में रनौत बहनों कंगना और रंगोली के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज कराई थी। उस शिकायत में उन्होंने कहा था कि कंगना की बहन रंगोली चंदेल ने कुछ दिनों पूर्व मुसलमानों की तब्लीग़ी जमात को लेकर द्वेषयुक्त व अपमानकारक ट्वीट किये थे। याचिका में कहा गया कि गत दिनों उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद की एक बस्ती में कोरोना की जाँच को लेकर स्वास्थ्य कर्मियों पर हुए हमले के मामले में भी कंगना रनौत की बहन ने हमला करने वालों को आतंकवादी कहकर सम्बोधित किया था तथा उन्हें गोलीमार देने की बात कही थी। रंगोली की इस ट्वीट को लेकर माहौल बहुत गर्म हुआ था। सोशल मीडिया और मीडिया में ख़ूब बहस हुई थी और ट्विटर ने उनका अकॉउंट सस्पेंड कर दिया था।
एडवोकेट देशमुख ने अदालत को बताया कि उनकी इस शिकायत पर मुंबई पुलिस ने कंगना की बहन का ट्विटर अकाउंट बंद करवा दिया था। लेकिन इस मामले की जाँच को आगे नहीं बढ़ाया। लिहाजा उन्होंने इस संबंध में अदालत में याचिका दायर की है।
याचिका में अधिवक्ता देशमुख ने कहा कि रंगोली के उन 'नफ़रत' वाले ट्वीट का उसकी बहन कंगना ने भी समर्थन किया और प्रोत्साहन दिया। इस संबंध में कंगना ने ट्विटर पर एक वीडियो अपलोड कर अपनी बहन का समर्थन किया था।
उस वीडियो में कंगना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से अपील की थी कि वे ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर पाबंदी लगा दें। कंगना ने कहा था कि ये सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म हमारे देश से अरबों रुपये कमाते हैं, हमारे देश का खाते हैं और हमारे देश में कोई व्यक्ति प्रधानमंत्री, गृहमंत्री तथा आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) जैसे संगठन को आतंकवादी कहने वालों के ख़िलाफ़ कुछ नहीं करता।
इस याचिका की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने आदेश दिया कि मामले में साक्ष्य इलेक्ट्रॉनिक स्वरूप के हैं। इसलिए इसकी जाँच की जानी चाहिए तथा इस बात का भी पता लगाया जाना चाहिए कि आरोपी की इस तरह की बयानबाज़ी के पीछे क्या मक़सद था। कंगना की बयानबाज़ी को लेकर यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले उन्होंने मुंबई पुलिस को लेकर जो ट्वीट किये थे उस पर उनके ख़िलाफ़ आपराधिक मामले दर्ज हुए हैं। उन्होंने मुंबई पुलिस और महानगरपालिका के कर्मचारियों को बाबर की सेना कहा था।
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