क्या जल्द ही महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा धमाका होने वाला है? हाल में कुछ घटनाक्रम ऐसे हुए हैं और बयान ऐसे आए हैं जिससे यह सवाल उठना लाजिमी है। पहले शरद पवार की अजित पवार के साथ कथित तौर पर गुप्त मुलाक़ात हुई। जब इस पर कयास लगने शुरू हुए तो पवार ने कहा कि उनके कुछ 'शुभचिंतक' भाजपा में जाने के लिए मनाने की कोशिश कर रहे हैं। और अब महाराष्ट्र के कांग्रेस नेता ने दावा किया है कि शरद पवार के सामने बीजेपी ने बड़ा ऑफर किया है। इस पर शरद पवार ने क्या जवाब दिया, यह जानने से पहले यह जान लें कि इस पर कयास क्या लगाए गए।
कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने बुधवार को दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अजित पवार के सामने शर्त रखी कि अगर वह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं तो उन्हें शरद पवार को शामिल करना होगा। तो क्या सच में कुछ इस तरह की बातचीत चल रही है? इस बारे में एनसीपी नेताओं का क्या कहना है?
कांग्रेस नेता के दावों पर शरद पवार ने कहा है कि उन्हें बीजेपी कैबिनेट के लिए कोई ऑफर नहीं है। लेकिन इनकी सफ़ाई से पहले एनसीपी नेता सुप्रिया सुले का बयान आया था। जब उनसे इस बारे में पूछा गया था तो उन्होंने ऐसे किसी भी घटनाक्रम की जानकारी होने से इनकार किया और कहा कि उन्हें बीजेपी से कोई ऑफर नहीं मिला है। सुले ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, 'मैं अपने निर्वाचन क्षेत्र के काम में बहुत व्यस्त हूं। ऐसे दावों पर पवार साहब पहले ही जवाब दे चुके हैं। वह पहले ही इस बारे में बोल चुके हैं... वह स्वतंत्र हैं, वह अपनी रक्षा करने में सक्षम हैं।'
शरद पवार को शामिल करने के भाजपा के प्रयासों पर उनकी प्रतिक्रिया के बारे में पूछे जाने पर सुले ने कहा, 'मेरी प्रतिक्रिया वही है जो मेरे नेता कहते हैं...'।
यह पूछे जाने पर कि क्या वह खुश हैं कि भाजपा इस तरह की पेशकश कर रही है, सुले ने कहा, 'मैं दुविधा में हूं। मैं उदासीन हूं क्योंकि किसी ने भी मुझे कोई प्रस्ताव नहीं दिया है।'
सुप्रिया सुले की यह प्रतिक्रिया तब आई है जब वडेट्टीवार ने संवाददाताओं से कहा था, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अजित पवार से कहा है कि अगर वह चाहते हैं कि उनका मुख्यमंत्री बनने का सपना पूरा हो तो उन्हें शरद पवार को अपनी तरफ करना होगा... और यही कारण है कि अजित पवार बार-बार शरद पवार से मिल रहे हैं और उन्हें हताश विनती कर रहे हैं।'
एनसीपी में फूट पड़ने के बाद अजित और शरद पवार की चार मुलाकातें हो चुकी हैं। ताज़ा मुलाक़ात इसी शनिवार को पुणे में हुई जिसे 'सीक्रेट मीटिंग' कहा गया।
एक रिपोर्ट के अनुसार बैठक कोरेगांव पार्क इलाके में एक बिजनेसमैन के बंगले पर हुई। रिपोर्टों में कहा गया कि शरद पवार को बिजनेसमैन के बंगले से निकलते देखा गया। इसी बंगले से अजित पवार को भी निकलते देखा गया था। कहा जा रहा है कि अजित पवार और जयंत पाटिल मीडिया को चकमा देकर बैठक में शामिल हुए थे। अजित सरकारी काफिला छोड़कर बैठक में पहुंचे थे वहीं, जयंत पार्टी कार्यकर्ता की गाड़ी से रवाना हो गए। बैठक के बाद निकलते समय अजित अपनी गाड़ी में मीडिया से छिपते नजर आए थे।
अजित पवार के साथ शनिवार को पुणे में उनकी कथित गुप्त बैठक के बारे में पूछे जाने पर शरद पवार ने कहा था, 'मैं आपको एक तथ्य बताना चाहता हूं कि वह मेरे भतीजे हैं। मेरे भतीजे से मिलने में क्या बुराई है? यदि परिवार का कोई वरिष्ठ व्यक्ति परिवार के किसी अन्य सदस्य से मिलना चाहता है, तो इसमें कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।'
इसके साथ ही पवार ने यह भी साफ़ कर दिया, 'एनसीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में मैं यह स्पष्ट कर रहा हूँ कि मेरी पार्टी भाजपा के साथ नहीं जाएगी। भारतीय जनता पार्टी के साथ कोई भी जुड़ाव एनसीपी की राजनीतिक नीति में फिट नहीं बैठता है।'
इस बीच अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा के सुनील तटकरे ने दावों को हास्यास्पद बताया है। उन्होंने कहा, 'मैं इस बारे में बात नहीं करना चाहता कि दोनों नेताओं ने क्या चर्चा की क्योंकि यह उनका पारिवारिक मामला है। जब हमने बीजेपी से हाथ मिलाया तो न तो उसने (बीजेपी ने) और न ही हमने कोई शर्त रखी थी। हमने देश और राज्य के विकास के लिए हाथ मिलाया है।'
इस मामले में वरिष्ठ कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, 'कुछ दिन पहले मैंने कहा था कि शरद पवार को भाजपा द्वारा कैबिनेट रैंक का पद दिया जा रहा है… यह कुछ जानकारी पर आधारित था जो मुझे अपने स्रोतों से मिली थी, लेकिन मैंने इसे सत्यापित नहीं किया है।'
शिवसेना (यूबीटी) के मुख्य प्रवक्ता संजय राउत ने दावा किया कि शरद पवार अपने जीवनकाल में भाजपा से हाथ नहीं मिलाएंगे। उन्होंने कहा, 'शरद पवार को ऑफर देने वाले अजित पवार कौन होते हैं? वह कोई नहीं है। वह ऐसी कोई पेशकश करने की हिम्मत नहीं करेंगे।'
दो दिन पहले ही शरद पवार की अजित पवार के साथ मुलाक़ात के बाद कांग्रेस के साथ ही शिवसेना (यूबीटी) ने भी उनसे ऐसी बैठकों से पैदा होने वाले 'भ्रम' को दूर करने के लिए कहा था। तो सवाल है कि शरद पवार और अजित पवार को लेकर ऐसा क्या भ्रम है कि इस पर सफ़ाई मांगी गई?
दरअसल, यह भ्रम इसलिए है कि एनसीपी प्रमुख शरद पवार तो विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. की बैठकों में जा रहे हैं और विपक्षी एकता के साथ होने की बात कह रहे हैं, लेकिन इसी एनसीपी का एक धड़ा उनके भतीजे अजित पवार के नेतृत्व में बीजेपी के साथ गठबंधन सरकार में शामिल है। इसी वजह से जब-जब शरद पवार और अजित पवार मिल रहे हैं तो यह सवाल खड़ा हो रहा है कि शरद पवार की आख़िर रणनीति क्या है?
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