loader

जाँच रिपोर्ट लीक करने के लिए एसआई ने घूस में आईफ़ोन लिया था: सीबीआई

सीबीआई के कुछ अफ़सर भी आईफ़ोन के बदले गोपनीय जानकारी लीक कर देते हैं? कम से कम सीबीआई का आरोप तो ऐसा ही है। सीबीआई ने कहा है कि उसके ही एसआई अभिषेक तिवारी ने अनिल देशमुख की प्रारंभिक जाँच रिपोर्ट लीक करने के लिए आईफ़ोन 12 प्रो फ़ोन घूस के तौर पर लिया था। आरोप है कि यह फ़ोन महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के वकील से जानकारी साझा करने के बदले लिया था। सीबीआई की एफ़आईआर में ही यह आरोप लगाया गया है। 

सीबीआई ने इस मामले में अपने ही अधिकारी सब इंस्पेक्टर तिवारी को दो दिन पहले ही गिरफ्तार कर लिया है। इसके बाद मामले में गुरुवार को एजेंसी ने देशमुख के वकील आनंद डागा को गिरफ्तार किया। सीबीआई की ओर से यह भी आरोप लगाया गया है कि देशमुख ने पुलिसकर्मियों को उनकी ओर से रिश्वत लेने के लिए मजबूर किया और अधिकारियों के स्थानांतरण और पोस्टिंग में ग़लत प्रभाव डाला। देशमुख के ख़िलाफ़ जांच मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह द्वारा बॉम्बे हाईकोर्ट में लगाए गए आरोपों पर आधारित है।

ताज़ा ख़बरें

सीबीआई की 31 अगस्त को दर्ज की गई एफ़आईआर के अनुसार, तिवारी ने इस सिलसिले में पुणे का दौरा किया था। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार एफ़आईआर में कहा गया है, 'यह पता चला है कि अधिवक्ता आनंद डागा ने अभिषेक तिवारी से मुलाक़ात की और उस पूछताछ व जांच के बारे में जानकारी देने के बदले में एक आईफोन 12 प्रो को अवैध इनाम के रूप में दिया। यह सार्वजनिक कर्तव्य का अनुचित अनुपालन है। यह भी विश्वसनीय रूप से पता चला है कि वह नियमित अंतराल पर डागा से अवैध रूप से रिश्वत प्राप्त कर रहे थे।' 

एजेंसी ने कहा कि तिवारी ने वाट्सऐप के माध्यम से डागा के साथ कथित तौर पर विभिन्न दस्तावेजों की प्रतियाँ साझा कीं।

एफ़आईआर में कहा गया है कि तिवारी डागा के संपर्क में तब आए, जब वह अप्रैल में देशमुख के ख़िलाफ़ प्रारंभिक जांच करने में जांच अधिकारी आरएस गुंज्याल की सहायता कर रहे थे।

इस एफ़आईआर के बीच ही सीबीआई ने अपने अधिकारी तिवारी और वकील डागा के ख़िलाफ़ कार्रवाई की है।

इससे पहले सीबीआई ने रिपोर्ट लीक करने के मामले में देशमुख के जवाई गौरव चतुर्वेदी और वकील आनंद डागा को बुधवार शाम अचानक हिरासत में ले लिया था। गौरव और आनंद दोनों वर्ली में अपने घर के बाहर गाड़ी लेकर जैसे ही निकले वैसे ही सीबीआई की एक टीम ने उनकी गाड़ी को रोक दिया था। सीबीआई ने गौरव को पूछताछ के बाद छोड़ दिया था जबकि देशमुख के वकील आनंद डागा को लंबी पूछताछ के बाद गिरफ़्तार कर लिया था। 

सीबीआई को ऐसी आशंका थी कि जूनियर अधिकारी अभिषेक तिवारी ने अनिल देशमुख मामले की प्रारंभिक जांच की रिपोर्ट वकील आनंद के साथ शेयर की थी। जिसके बाद उस रिपोर्ट को मीडिया में लीक कर दिया गया था। इसके चलते अनिल देशमुख ने ख़ूब सहानुभूति बटोरी थी। 

महाराष्ट्र से और ख़बरें

क्या था मामला?

महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के कथित 100 करोड़ रुपए वसूली मामले में बड़ा खुलासा हुआ था। मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह द्वारा तत्कालीन गृहमंत्री अनिल देशमुख पर लगाये गए 100 करोड़ रुपये की वसूली के आरोप के मामले में सीबीआई की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सामने आई थी। 

वकील के ख़िलाफ़ सीबीआई की कार्रवाई के बाद महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और एनसीपी के बड़े नेता नवाब मलिक ने आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार एजेंसियों के दम पर महाराष्ट्र में अफरा-तफरी का माहौल पैदा कर रही है। महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन सावंत ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया था कि सरकार बगैर क़ानूनों का पालन किये महाराष्ट्र सरकार और विपक्षी दलों को निशाना बना रही है।
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

महाराष्ट्र से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें