अपराध, क़ानून व्यवस्था और भ्रष्टाचार को लेकर अदालतों की टिप्पणियाँ आती रही हैं लेकिन यह पहला मौक़ा होगा जब देश की एक बड़ी अदालत ने देश की अर्थव्यवस्था को लेकर बड़ी टिप्पणी की है। पिछले क़रीब एक साल से देश की जीडीपी और बेरोज़गारी के आंकड़े और अर्थ व्यवस्था को लेकर वैकल्पिक मीडिया में एक बहस छिड़ी हुई है लेकिन अब मुंबई हाई कोर्ट ने इस विषय पर टिप्पणी की है।
‘इकॉनमी’ संवार नहीं पा रही सरकार ‘इकोलॉजी’ को कैसे संभालेगी: कोर्ट
- महाराष्ट्र
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- 1 Oct, 2019
देश की जीडीपी और बेरोज़गारी के आंकड़े और अर्थ व्यवस्था को लेकर वैकल्पिक मीडिया में एक बहस छिड़ी हुई है लेकिन अब मुंबई हाई कोर्ट ने इस विषय पर टिप्पणी की है।

इसके बाद सवाल यह खड़ा हो रहा है कि कोर्ट ने किस ओर इशारा किया है? क्या देश की अर्थ व्यवस्था की स्थिति इतनी ख़राब हो गयी है कि उस पर ध्यान आकर्षित करने के लिए अदालत को टिप्पणी करनी पड़ी? मामला मुंबई में बन रहे मेट्रो -3 प्रकल्प में कार शेड को बनाये जाने का है। सरकार यह चाहती है कि यह कार शेड आरे कॉलोनी क्षेत्र में बसी खाली ज़मीन पर बने। लेकिन पर्यावरण से जुडी संस्थाएं, बहुत से ग़ैर सरकारी संगठनों, फ़िल्मी हस्तियों ने इसका विरोध किया है। इसको लेकर कई संगठन प्रदर्शन भी कर रहे हैं।