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पूर्व पार्षदों की शिंदे को चिट्ठी- बीएमसी में भ्रष्टाचार पर हो कार्रवाई

महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अब बृहन्मुंबई महानगरपालिका यानी बीएमसी के 94 पूर्व पार्षदों ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को बीएमसी में कथित रूप से अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर चिट्ठी लिखी है। 

चिट्ठी में कहा है कि जब से बीएमसी का कार्यकाल खत्म हुआ है और नई सरकार आई है तभी से बीएमसी के टेंडर और दूसरे कार्यों में पारदर्शिता नहीं बरती जा रही है और इसमें भ्रष्टाचार की बू आ रही है। पार्षदों ने चिट्ठी में लिखा है कि इससे बीएमसी के अधिकारियों का मनोबल टूट रहा है जिस पर मुख्यमंत्री फौरन कार्रवाई करें। 

इस चिट्ठी के बाद एशिया की सबसे धनी महानगरपालिका बीएमसी पर पारदर्शिता को लेकर सवाल उठ रहे हैं। तीन पेज की चिट्ठी में सभी पार्टियों के पूर्व पार्षदों के दस्तखत हैं। 

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चिट्ठी में लिखा है कि मार्च 2022 में बीएमसी का मौजूदा कार्यकाल खत्म हो गया था जिसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने प्रशासक की नियुक्ति कर दी थी जो बीएमसी के सभी कामकाज देख रहे हैं। चिट्ठी में लिखा है कि जब से प्रशासक की नियुक्ति हुई है और नई सरकार का गठन हुआ है तभी से बीएमसी के कामकाज जैसे साफ सफाई के कॉन्ट्रैक्ट, सड़कों के ठेके और दूसरे अन्य कार्यों में पारदर्शिता नहीं बरती जा रही है और ना ही किसी को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। 

पार्षदों ने चिट्ठी में लिखा है कि पारदर्शिता और जिम्मेदारी के मामले में बीएमसी पिछड़ती हुई दिखाई दे रही है। जिन पार्षदों का कार्यकाल खत्म हो गया है उनको 9 महीनों से फंड भी नहीं दिया जा रहा है जिसकी वजह से उनके क्षेत्रों में विकास के कार्य लटक गए हैं।

हम सभी पार्षदों ने प्रशासक के तौर पर नियुक्त किए गए बीएमसी कमिश्नर इकबाल सिंह चहल को कई बार खत लिखा है लेकिन हमारी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के पूर्व पार्षद संदीप देशपांडे का कहना है कि पिछले 15 सालों से वह बीएमसी में पार्षद रहे हैं लेकिन जिस तरह का माहौल पिछले 9 महीनों में हम देख रहे हैं ऐसा माहौल बीएमसी में कभी नहीं देखा गया। बीएमसी में अधिकारियों के बड़े पैमाने पर तबादले किए गए हैं जिससे ना केवल इसके कामकाज पर असर पड़ रहा है बल्कि अधिकारियों का भी मनोबल गिर रहा है। 

देशपांडे का कहना है कि शहर की कई दर्जन पॉलिसी अधर में लटकी हुई हैं जिस पर ना तो प्रशासक ही ध्यान दे रहे हैं और ना ही महाराष्ट्र सरकार उसमें कोई हस्तक्षेप कर रही है। 

BMC former councilors to Eknath Shinde on corruption - Satya Hindi

पोस्टिंग और तबादलों में घोटाला!

बीएमसी में विपक्ष के नेता और कांग्रेस के पूर्व पार्षद रवि राजा का कहना है कि अधिकारियों के तबादले बड़े पैमाने पर हो रहे हैं। कुछ मौकों पर तो ऐसा पाया गया है कि किसी अधिकारी का तबादला कर दिया जाता है और 24 घंटे में फिर वापस ले लिया जाता है। अधिकारियों को काम करने में मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। रवि राजा ने आरोप लगाया है कि बीएमसी में पोस्टिंग और तबादलों के लिए बड़े पैमाने पर घोटाला किया जा रहा है और मलाईदार पोस्टिंग के लिए बोली लगाई जा रही है। 

इसके अलावा टेंडर प्रक्रिया में भी पारदर्शिता नहीं बरती जा रही है। ज्यादातर मामलों में कॉन्ट्रैक्ट उन्हें दिए जा रहे हैं जो पात्र ही नहीं हैं। 

मुंबई की पूर्व मेयर और शिवसेना नेता किशोरी पेडणेकर ने महाराष्ट्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि पिछली बार जब बीएमसी का बजट घोषित किया गया था तो उसमें सीमेंट और कंक्रीट रोड बनाने का कोई फैसला नहीं हुआ था, लेकिन जबसे बीएमसी में प्रशासक की नियुक्ति हुई है और नई सरकार ने चार्ज संभाला है बीएमसी में घोटाले की शुरुआत हो गई है।
BMC former councilors to Eknath Shinde on corruption - Satya Hindi

पेडणेकर का कहना है कि सरकार ने कुछ दिन पहले ही 6000 करोड़ रुपए के टेंडर निकालने का ऐलान किया था जिसमें मुंबई भर की सभी सड़कों को सीमेंट और कंक्रीट से बनाने का ऐलान किया जिसमें बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है। 

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को लिखी गई इस चिट्ठी के आखिर में कहा गया है कि हम सभी पार्टियों के पार्षद पिछले 9 महीने से प्रशासक के संपर्क में हैं लेकिन उनकी तरफ से जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों के लिए समय नहीं दिया जा रहा है और ना ही उनकी मांगों को निपटाया जा रहा है। हमारी मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मांग है कि बीएमसी में चल रही मनमानी और भ्रष्टाचार के खिलाफ जल्द से जल्द कार्रवाई करें।

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आरोपों को किया खारिज 

लेकिन प्रशासक इकबाल सिंह चहल का कहना है कि 94 पूर्व पार्षदों ने जो आरोप लगाए हैं उनमें कोई सच्चाई नहीं है। चहल का कहना है कि जब से उन्होंने बीएमसी में प्रशासक पद की जिम्मेदारी संभाली है तभी से बीएमसी में पहले की तरह काम चल रहा है। चहल का कहना है कि साल 2020 में बीएमसी के पास जहां 77000 करोड़ का फंड था, वहीं इस समय वह बढ़कर 87000 करोड़ हो गया है तो ऐसे में बीएमसी में अनियमितताओं के आरोप लगाना कहीं से भी जायज नहीं बैठता है। 

इस मामले में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की प्रतिक्रिया नहीं आई है लेकिन मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस बात की पुष्टि की है कि मुंबई महानगरपालिका के 94 पूर्व पार्षदों द्वारा लिखा गया एक खत मुख्यमंत्री कार्यालय को प्राप्त हुआ है जिसकी जानकारी मुख्यमंत्री को दे दी गई है। देखना होगा कि आखिरकार पार्षदों की इन मांगों पर मुख्यमंत्री क्या फैसला लेते हैं।

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सोमदत्त शर्मा
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