गांव देहात या फिर शहरों में अक्सर ऐसा होता है कि पानी के नलके पर पानी भरने को लेकर लड़ाई होती है जिसमें कई बार संतुलन बिगड़ जाता है और बात तू-तू, मैं-मैं पर उतर आती है। महाराष्ट्र की राजनीति भी इसी स्तर पर उतर आयी है जहां राजनीतिक मुददों पर लड़ने के बजाय ‘तू नहीं जानता मैं कौन हूं’ या ‘मेरे मुंह मत लगना’ जैसे मुहावरे अब इस्तेमाल होने लगे हैं।
महाराष्ट्र की राजनीतिक लड़ाई तू-तू, मैं-मैं पर आई
- महाराष्ट्र
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- 22 Feb, 2022
महाराष्ट्र में महा विकास आघाडी की सरकार बनने के बाद से ही बीजेपी और शिवसेना के नेता आमने-सामने हैं। यह राजनीतिक लड़ाई एजेंसियों के जरिए भी लड़ी जा रही है।

वरिष्ठ पत्रकार निरंजन परिहार कहते हैं ये सब पार्टियों के नेताओं के लिए फायदेमंद हैं क्योंकि लड़ाई अब असली बात पर नहीं बस जुबानी जंग पर आ गयी है और दूसरे पायदान के नेता आपस में लड़ रहे हैं इसलिए पहली पायदान के नेता बस मजे ले रहे हैं। लेकिन इस सबसे एक बड़ा नुकसान हो रहा है कि इस चक्कर में विकास और जमीनी काम दोनों पिछ़ड रहे हैं। हालांकि ये लड़ाई इसलिए भी इस स्तर पर आ गयी है क्योंकि अगले दो महीनों में महानगरपालिका यानि मनपा के चुनाव होने हैं।
जांच एजेंसियों में काम करने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार पहले ही समीर वानखेड़े के प्रकरण के कारण जांच एजेंसियों की काफी बदनामी हो चुकी है और अब नेता जिस तरह से ईडी और सीबीआई को लेकर दावे और आरोप लगा रहे हैं उससे एजेंसियों के अफसर सहम गये है।