25 साल तक साथ रहने के बाद जब शिव सेना-बीजेपी पिछले साल नवंबर में अलग हुए तो भी उनके रिश्ते इतने तल्ख नहीं थे। उद्धव ठाकरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सम्मान करते थे और इस साल हुई बाला साहेब ठाकरे की जयंती पर बीजेपी के तमाम नेता पहुंचे थे। ये एक-दूसरे के प्रति सम्मान रखने की बात थी और यह माना जाता था कि कट्टर हिंदुत्व की राजनीति करने वाले ये दोनों दल आने वाले समय में फिर से साथ आ सकते हैं। लेकिन सुशांत सिंह प्रकरण के कारण बीजेपी और शिव सेना के रिश्ते बेहद ख़राब हो गए हैं।
हिंदुस्तान टाइम्स (एचटी) के मुताबिक़, मुख्यमंत्री के एक क़रीबी राजनीतिक सलाहकार ने कहा कि सुशांत की मौत मामले में जिस तरह आदित्य को घसीटने की कोशिश की गई, उससे उद्धव और उनकी पत्नी रश्मि ठाकरे दोनों नाराज हुए। उद्धव ने इस बात को राज्य सरकार मे मंत्री अनिल परब के जरिये विरोधी पक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस तक पहुंचाया। ठाकरे ने संदेश भिजवाया कि बीजेपी को व्यक्तिगत हमलों से दूर रहना चाहिए।
इसके बाद फडणवीस को भी सामने आकर मीडिया से यह कहना पड़ा था कि बीजेपी ने सुशांत मामले में कभी भी शिव सेना के किसी भी मंत्री का नाम नहीं लिया था। इसके बाद बीजेपी के नेताओं की आदित्य को लेकर आवाज़ धीमी हो गई थी।
इसके अलावा जिस तरह सुशांत मामले की जांच मुंबई पुलिस से लेकर सीबीआई को दी गई और कंगना रनौत के द्वारा मुंबई और महाराष्ट्र को लेकर बयानबाज़ी की गई, उससे उद्धव सरकार और बीजेपी के बीच संबंध और बिगड़ गए। शिव सेना के कंगना को मुंबई न आने के लिए कहने और बीजेपी द्वारा खुलकर कंगना के बचाव में उतरने और अभिनेत्री को वाई श्रेणी की सुरक्षा दिए जाने के बाद यह लड़ाई और बढ़ गई। इसे लेकर उद्धव सरकार की ओर से नाराजगी भी जताई गई।
संजय राउत और कंगना रनौत के बीच चली जुबानी जंग के बाद जब बीएमसी ने कंगना के ऑफ़िस में तोड़फोड़ की तो बीजेपी ने खुलकर कंगना का बचाव किया और उद्धव सरकार को निशाने पर ले लिया। इससे भी इनके रिश्ते और कमजोर हो गए।
एचटी के मुताबिक़, ठाकरे के क़रीबी इस नेता ने यह भी कहा कि जिस तरह कंगना ने उद्धव के ख़िलाफ़ बयानबाज़ी की है, उसे शिव सेना ने बेहद गंभीरता से लिया है। उन्होंने यह भी कहा कि अब भविष्य में बीजेपी के साथ किसी भी तरह की सुलह का कोई सवाल ही नहीं उठता।
एचटी के मुताबिक़, दूसरी ओर, महाराष्ट्र बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि सुशांत मामले में ठाकरे सरकार ने जिस तरह का रवैया दिखाया, उससे यही कहा जा सकता है कि भविष्य में शिव सेना के साथ उनकी पार्टी किसी तरह का गठबंधन नहीं करेगी।
उद्धव सरकार के लिए सबक
महाराष्ट्र की राजनीति के जानकारों का भी मानना है कि सुशांत मामले में जिस तरह बीजेपी और शिव सेना आमने-सामने आए हैं, उससे दो बातें निकलती हैं। पहली यह कि बीजेपी-शिव सेना के बीच किसी भी तरह की सुलह की संभावना हमेशा के लिए ख़त्म हो गई है और दूसरी यह कि उद्धव सरकार में शामिल शिव सेना, एनसीपी और कांग्रेस के लिए यह एक सबक है वे अपने आपसी विरोधों को छोड़कर इकट्ठे रहें।
इन तीनों दलों को इस बात का अहसास हो चुका है कि बीजेपी उनकी सरकार को गिराने के लिए कुछ भी कर सकती है और ऐसे में अगर अपने सियासी वजूद को बचाए रखना है तो मिलकर रहना ही होगा। वरना, सरकार गिरते देर नहीं लगेगी।
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