महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी लेकिन सत्ता के संघर्ष के ड्रामे के बाद यदि एक वाक्य में उसके बारे में बोलना हो तो यह शेर, 'न ख़ुदा ही मिला न विसाल-ए-सनम' अक्षरशः सटीक बैठता है। चुनाव नतीजों के बाद जब साथ मिलकर चुनाव लड़ी शिवसेना बीजेपी के साथ सरकार बनाने में सहयोगी नहीं बनी तो देवेंद्र फडणवीस और उनके मंत्रियों तथा बीजेपी नेताओं ने मीडिया के माध्यम से शिवसेना पर हमले शुरू कर दिए। शिवसेना को बरसों पुरानी दोस्ती का हवाला दिया गया (हालांकि 2014 का विधानसभा चुनाव दोनों पार्टियों ने गठबंधन तोड़कर ही लड़ा था)। इसके अलावा बाला साहब ठाकरे के आदर्शों की दुहाई दी, हिंदुत्व की विचारधारा से नाता न तोड़ने की बात कही। इस पूरी प्रक्रिया में कहीं ना कहीं आम लोगों के मन में यह धारणा बनती दिखी थी कि शिवसेना कुछ गलत कर रही है और उसे अपने पुराने सहयोगी के साथ चले जाना चाहिए।