महाराष्ट्र के बदलापुर में एक स्कूल में दो बच्चियों से बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार अक्षय शिंदे को सोमवार को पुलिस ने गोली मार दी। पुलिस के अनुसार आरोपी ने एक अधिकारी का हथियार छीन लिया और पुलिस पर फायरिंग कर दी थी। इस घटना में पुलिस अधिकारी भी घायल हो गए। इसी दौरान मुठभेड़ में आरोपी मारा गया।
पुलिस के अनुसार, आरोपी शिंदे ने शाम क़रीब 5.30 बजे पुलिस वाहन में जेल से ले जाए जाने के दौरान एक अधिकारी से हथियार छीन लिया और फायरिंग कर दी। इस दौरान कई राउंड गोलीबारी हुई। इसमें पुलिस अधिकारी भी घायल हो गए। ठाणे जिले के मुंब्रा बाईपास पर मुठभेड़ हुई। पुलिस ने बताया कि आरोपी ने कुल तीन राउंड फायरिंग की और इस घटना में एक पुलिस अधिकारी घायल हो गया।
पुलिस के अनुसार, क्रॉस-फायरिंग तब हुई जब आरोपी को ठाणे क्राइम ब्रांच के अधिकारी 2022 में उसकी दूसरी पत्नी द्वारा दर्ज किए गए एक अलग मामले की जांच के सिलसिले में ठाणे ले जा रहे थे। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उसकी पत्नी ने उसके द्वारा अप्राकृतिक यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था।
आरोपी ने कथित तौर पर 12 और 13 अगस्त को स्कूल के शौचालय में चार साल की दो छात्राओं का यौन उत्पीड़न किया था। यह अपराध तब प्रकाश में आया जब पीड़ितों में से एक ने अपने माता-पिता को इसकी जानकारी दी। मेडिकल जांच में दोनों लड़कियों के यौन शोषण की पुष्टि हुई, जिसके बाद 16 अगस्त को पहली एफआईआर दर्ज की गई और 17 अगस्त को उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
पीड़िता के माता-पिता ने कहा कि सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने में बहुत देरी की। यौन उत्पीड़न 13 अगस्त को हुआ था, पुलिस ने मामला 16 अगस्त को दर्ज किया।
आक्रोश न हो तो पुलिस काम नहीं करती- हाईकोर्ट
उनके द्वारा दर्ज की गई शिकायत के अनुसार, माता-पिता को एफआईआर दर्ज करने की अनुमति देने से पहले कथित तौर पर 11 घंटे तक इंतजार करना पड़ा था।
कार्रवाई में देरी के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी कड़ी फटकार लगाई थी। अदालत ने 22 अगस्त को कहा था कि जब तक जनता में आक्रोश न हो तब तक पुलिस तंत्र काम नहीं करता। अदालत ने बदलापुर पुलिस से पूछा कि पीड़ितों और उनके परिवारों के बयान प्रक्रिया के अनुसार समय पर क्यों नहीं दर्ज किए गए और स्कूल अधिकारियों के ख़िलाफ़ कोई त्वरित कार्रवाई क्यों नहीं की गई। अदालत ने यह भी पूछा कि क्या कथित घटना जिस स्कूल में हुई, उसके ख़िलाफ़ यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण पोक्सो अधिनियम के तहत अपराध दर्ज किए गए थे।
इसके साथ ही इसने स्कूल अधिकारियों से घटना की समय पर रिपोर्ट न करने के लिए सवाल किया और पूछा, 'अगर स्कूल सुरक्षित जगह नहीं है, तो शिक्षा के अधिकार के बारे में बोलने का क्या फायदा है?' बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया है और इसी को लेकर वह सुनवाई कर रहा था। न्यायमूर्ति मोहिते-डेरे ने टिप्पणी की, 'पुलिस ने बयान इतनी देरी से दर्ज किए, घटना 12-13 अगस्त की है और एफ़आईआर 16 तारीख़ की है, बयान अब दर्ज किए गए? माता-पिता के बयान पहले क्यों दर्ज नहीं किए गए? पुलिस अधिकारी का कर्तव्य प्रक्रिया के अनुसार बयान दर्ज करना है। हम चाहते हैं कि पीड़ितों को न्याय मिले।'
पिछले हफ्ते आईजी रैंक की आईपीएस अधिकारी आरती सिंह की अध्यक्षता वाली विशेष जांच टीम ने कल्याण में विशेष यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण यानी पोक्सो अधिनियम के तहत अदालत के समक्ष दोनों मामलों में आरोप पत्र दायर किया था। एसआईटी ने कहा कि उसने आरोपी के खिलाफ मजबूत मामला बनाया है।
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