दक्षिण एशिया में पिछले एक साल में हुए सत्ता परिवर्तन में भारत विरोधी एवं चीनपरस्त ताकतों को ही बल मिला है जिनमें नेपाल, पाकिस्तान, मालदीव, बांग्लादेश शामिल था और अब श्रीलंका ने रविवार को 55 साल के वामपंथी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके को नया राष्ट्रपति चुन कर भारत के लिए एक नया सिरदर्द पैदा कर दिया है। इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए तीन विशेष बातों का विस्तार से विवेचना जरूरी है, जिनमें 2022 में श्रीलंका की सड़क पर हुए संघर्ष से उपजे हालात और उसका चुनाव पर प्रभाव, जनता विमुक्ति पेरमुना (जेवीपी; शाब्दिक अर्थ 'पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट') पार्टी की जीत और अनुरा कुमारा दिसानायके की विचारधारा शामिल है।
श्रीलंका राष्ट्रपति चुनाव परिणाम भारत के लिए नया सिरदर्द!
- विश्लेषण
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- 23 Sep, 2024

श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में मार्क्सवादी अनुरा कुमारा दिसानायके और उनकी पार्टी जेवीपी की जीत के मायने क्या हैं? जानिए, भारत को उनकी यह जीत किस रूप में प्रभावित करेगी।
अनुरा कुमारा दिसानायके शनिवार को श्रीलंका के आम चुनाव में पहले राउंड में 50 प्रतिशत वोट नहीं पा सके और दूसरे राउंड की गिनती में 42.31 प्रतिशत वोट पाकर अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी साजिथ प्रेमदासा, जो 32.71 प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर हैं, को हराया। निवर्तमान राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघा को सिर्फ 17.27 प्रतिशत और इसके साथ नमला राजपक्षे, जो पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के पुत्र हैं, को तीन प्रतिशत वोट मिले। दिसानायके कृषि में स्नातक हैं और 2000 से राष्ट्रीय संसद के सदस्य भी। 2004 में गठबंधन की सरकार में कृषि मंत्री भी रह चुके हैं। उनकी नेतृत्व शैली अलग है क्योंकि उन्होंने जेवीपी की मार्क्सवादी सिद्धांतों को सुधारों के साथ जोड़ा है।