क्या किसी विषय पर विचार-विमर्श करने के लिए बैठक भर से क़ानून व्यवस्था बिगड़ने का डर हो सकता है? वह भी तब जब वह कोई धार्मिक सम्मेलन न हो तो भी? या किस सम्मेलन या गोष्ठी में क्या चर्चा हो यह पुलिस को बताकर ही कार्यक्रम किया जा सकता है? ये सवाल इसलिए कि पुणे में रविवार को होने वाले एक नास्तिक सम्मेलन को रद्द करना पड़ा है। एक रिपोर्ट के अनुसार इस कार्यक्रम के आयोजकों ने कहा है कि शहर की पुलिस को आशंका थी कि 'राम नवमी त्योहार के दिन इस तरह के आयोजन से क़ानून-व्यवस्था की समस्या हो सकती है।'
सोशल मीडिया पर भी इसको लेकर लोगों ने प्रतिक्रिया व्यक्त की है। अजय कामत ने ट्वीट किया है, 'पुणे में एक नास्तिक सम्मेलन को 'क़ानून और व्यवस्था की समस्या' के डर से पुलिस ने रद्द कर दिया है क्योंकि यह राम नवमी का दिन है। हमारे देश और इसकी क़ानून प्रवर्तन एजेंसियों के बारे में कुछ कहने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं।'
An atheist meet in Pune has been cancelled by the cops fearing “law and order problems” because it’s Ram Navami day.
— Ajay Kamath (@ajay43) April 10, 2022
I am running out of words to describe our country and it’s law enforcement agencies
राम नवमी के बीच नास्तिक सम्मेलन को रद्द किए जाने का मामला तब आया है जब पिछले कुछ दिनों से राम नवमी पर मांस की दुकानों को बंद करने का मामला आया है। इस पर दक्षिणपंथियों का एक तबक़ा चाहता है कि राम नवमी के 9 दिनों के दौरान मांस की दुकानें बंद की जाएँ वहीं कई लोग इसके विरोध में तर्क रखते हैं। उनका मानना है कि कौन कब क्या खाना चाहता है इस पर पाबंदी लगाने वाले दूसरे लोग कौन होते हैं।
दरअसल, यह विवाद सबसे पहले तब आया था जब दक्षिण दिल्ली नगर निगम द्वारा पूरे नवरात्र के दौरान इस तरह की पाबंदी लगाने की बात कही गई थी। इसके बाद वृहत बेंगलुरु महानगर पालिका ने दो दिन पहले ही आदेश जारी किया था कि इसके क्षेत्राधिकार में राम नवमी त्योहार के दिन बूचड़खाना और मांस की दुकानें बंद रहेंगी।
बहरहाल, ताजा मामला नास्तिक सम्मेलन का है। शहीद भगत सिंह विचारमंच पुणे नाम के एक समूह ने 10 अप्रैल को सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे के बीच एस एम जोशी फाउंडेशन हॉल में 7वें नास्तिक मेलावा यानी नास्तिक सम्मेलन 2022 की योजना बनाई थी। इस कार्यक्रम में प्रोफ़ेसर डॉ. शरद बाविस्कर, तुकाराम सोनवणे और डॉ. मुग्धा कार्णिक वक्ता थे। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार आयोजकों ने कहा कि महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों से लगभग 350 लोगों ने सम्मेलन के लिए अपना नाम दर्ज कराया था।
सम्मेलन स्थल विश्रामबाग पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र में आता है। आठ अप्रैल को आयोजकों ने विश्रामबाग थाने को पत्र लिखकर सम्मेलन की जानकारी दी थी।
रिपोर्ट के अनुसार एक आयोजक डॉ. नितिन हांडे ने कहा, 'यह नास्तिक सम्मेलन का सातवां संस्करण था। ज़िम्मेदार नागरिक होने के नाते हमने पुलिस को इसकी सूचना दी। लेकिन फिर पुलिस ने हमें फोन करना शुरू कर दिया। हमने शनिवार सुबह पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की। पुलिस ने हमें बताया कि 10 अप्रैल को राम नवमी है और उसी दिन नास्तिक सम्मेलन आयोजित करने से क़ानून-व्यवस्था की समस्या हो सकती है। पुलिस ने किसी संगठन या व्यक्ति का नाम नहीं लिया, लेकिन उन्होंने कहा कि कुछ संगठनों ने दावा किया है कि राम नवमी पर धर्मावलंबियों की भावनाओं को आहत करने के लिए नास्तिक सम्मेलन की योजना बनाई गई है। पुलिस ने क़ानून और व्यवस्था की स्थिति की आशंका व्यक्त की।'
उन्होंने आगे कहा कि हमने शनिवार को पुलिस को एक और पत्र दिया और नास्तिक सम्मेलन में उनका सहयोग मांगा। उन्होंने कहा, 'हमने कहा कि हमारा सम्मेलन एक आंतरिक कार्यक्रम है। आमंत्रण से ही होता है। यह एक गैर-राजनीतिक कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य किसी को ठेस पहुंचाना नहीं है। यह उनके लिए है जो वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानवता, आधुनिकता, नास्तिकता और हमारे संविधान के सिद्धांतों में विश्वास करते हैं।'
रिपोर्ट के अनुसार इस पर पुलिस ने पुणे के शहीद भगत सिंह विचारमंच के हांडे, विवेक सांबारे और राहुल माने को एक पत्र दिया, जिसमें उन्होंने नास्तिक सम्मेलन को स्थगित करने के लिए कहा। हालाँकि विश्रामबाग थाने के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक सुनील माने के हस्ताक्षर वाले इस पत्र में राम नवमी या क़ानून व्यवस्था की समस्या का कोई ज़िक्र नहीं था। पत्र में कहा गया है कि आयोजकों ने यह साफ़ नहीं किया है कि सम्मेलन के दौरान वक्ता किन विचारों और विषयों पर बात करेंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि पत्र में आगे कहा गया है कि 10 अप्रैल के बजाय सम्मेलन 24 अप्रैल को आयोजित किया जाना चाहिए।
पत्र में आयोजकों को पहले से और लिखित रूप में यह बताने के लिए भी कहा गया है कि सम्मेलन में वक्ता किन विषयों पर मार्गदर्शन करेंगे। इस पर हांडे ने कहा है कि 'हमें आश्चर्य है कि पुलिस इस तरह के विवरण पहले से क्यों मांग रही है और वह भी लिखित में। ऐसे छह नास्तिक सम्मेलन पूर्व में हो चुके हैं। कानून और व्यवस्था की कोई समस्या पहले कभी नहीं हुई।'
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