महाराष्ट्र में मराठा कोटे की मांग को लेकर आंदोलन का नेतृत्व करने वाले मनोज जारांगे पाटिल को महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने रविवार को बड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने बिना नाम लिए कहा है कि सरकार कानून तोड़ने की कोशिश करने वाले किसी भी व्यक्ति को बर्दाश्त नहीं करेगी। जारांगे पाटिल मराठों को कुनबी यानी ओबीसी का दर्जा देने की मांग को लेकर 20 जनवरी से मुंबई में सड़कों पर उतरने की धमकी दे चुके हैं।
अजित पवार ने कहा है, 'आज 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस आरक्षण के साथ, कुल आरक्षण 62 प्रतिशत हो गया है। शेष में मराठाओं को आरक्षण मिल सकता है। कोई विरोध नहीं करेगा। लेकिन कुछ लोग अत्यधिक मांग कर रहे हैं। मुंबई पहुंचने की बात करें तो हम डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा हमें दिए गए संविधान का पालन करते हैं। अगर कोई कानून हाथ में लेने की कोशिश करेगा तो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कोई भी कानून से ऊपर नहीं है।' पवार पड़ोसी जिले ठाणे की कल्याण तहसील में पार्टी के एक कार्यक्रम में बोल रहे थे।
मनोज जारांगे पाटिल के नेतृत्व में चल रहे मराठा आंदोलन से पूरी महाराष्ट्र सरकार परेशान है। अक्टूबर महीने में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर वह भूख हड़ताल पर बैठे थे। उनके समर्थक कई बार हिंसा पर उतर आए और विधायकों के घर तक फूँक दिए गए। समर्थन में सांसद तक इस्तीफा दे चुके हैं।
मनोज जारांगे पाटिल नाम के 40 वर्षीय किसान मराठा आरक्षण आंदोलन के चेहरे के रूप में महाराष्ट्र में सबसे प्रभावशाली आवाज़ों में से एक बनकर उभरे हैं। जारांगे मराठा समुदाय को आरक्षण दिलाने के लिए आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं और भारी भीड़ जुटाते रहे हैं।
अब जब मनोज जारांगे पाटिल के नेतृत्व में फिर से यह मराठा आरक्षण आंदोलन चल रहा है तो शिंदे सरकार इससे निपटने की कोशिश में जुटी है।
माध्यमिक स्तर तक पढ़ाई करने वाले किसान जारांगे क़रीब 15 वर्षों से मराठा आरक्षण आंदोलन का हिस्सा रहे हैं। वह मूल रूप से महाराष्ट्र के बीड जिले के मटोरी गांव के रहने वाले हैं। लेकिन वह जालना जिले के अंबाद में बस गए हैं, जहां से वह आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं।
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अपने चाचा पर तंज, संन्यास ले लेना चाहिए: अजित
अजित पवार ने अपने चाचा और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार पर भी तंज कसते हुए कहा कि 84 साल के व्यक्ति को राजनीति से संन्यास ले लेना चाहिए। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने अपने चाचा शरद पवार का नाम लिए बिना कहा, 'एक निश्चित उम्र के बाद व्यक्ति को रुक जाना चाहिए। ये परंपरा सालों से चली आ रही है। लेकिन कुछ लोग इसे मानने से इनकार कर देते हैं। वे जिद्दी व्यवहार करते हैं। राज्य कर्मचारी 58 में रिटायर होते हैं। कोई 65 में, कोई 70 या 75 में। अब आप 84 में भी नहीं रुक रहे हैं। हम यहां काम करने के लिए हैं। अगर हम गलत करते हैं तो हमें बताएं। हमारे पास क्षमता है।'
2023 में अजित पवार द्वारा भाजपा से हाथ मिलाने और पार्टी के नाम के साथ-साथ चुनाव चिन्ह पर दावा करने के बाद शरद पवार और उनके भतीजे की राहें अलग हो गईं। फिलहाल दोनों के बीच मामले की सुनवाई भारतीय चुनाव आयोग कर रहा है।
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