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एमपी: शव वाहन नहीं, 80 KM बाइक पर लाश ले जाने की मजबूरी!

मध्य प्रदेश की तकदीर और तसवीर बदलने के भले ही लाख दावे किये जायें, लेकिन विद्रूप तसवीरों के सामने का आने का सिलसिला थमने का नाम नहीं लेता है। आदिवासी बाहुल्य शहडोल/अनूपपुर जिले से ऐसी ही शर्मनाक तसवीर सामने आयी है। समय पर सही इलाज नहीं मिलने से मां की मौत का आरोप लगाने वाले बेटों को शव वाहन नहीं मिला। बेटों ने अपनी बाइक पर पटिया बांधकर 80 किलोमीटर तक शव को ढोया और फिर मां का अंतिम संस्कार किया।

अनूपपुर ज़िले की गुडारु गाँव की रहने वाली महिला जयमंत्री यादव को रविवार को शहडोल मेडिकल कॉलेज लाया गया था। सीने में दर्द की शिकायत हुई थी। पहले उन्हें स्थानीय स्तर पर दिखाया गया। डॉक्टरों की सलाह और रेफर करने पर जयमंत्री को शहडोल मेडिकल कॉलेज लेकर आया गया।

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शहडोल मेडिकल कॉलेज में उपचार के दौरान महिला की देर रात मौत हो गई। मौत के लिये बेटे सुंदर यादव ने डॉक्टर और नर्सों को ज़िम्मेदार ठहराया। आरोप लगाया कि सही ढंग से उपचार के अभाव में मां चल बसी।

मजबूर बेटों और परिवारजनों की मुश्किलें यहीं ख़त्म नहीं हुईं। शव को गांव वापस ले जाने के लिए वाहन मांगा, लेकिन नहीं मिला। शव वाहन ढोने वाले प्राइवेट ऑपरेटर से बात की तो उसने 5 हजार रुपयों की मांग की। इतना पैसा जयमंत्री के बेटों के पास नहीं था। तमाम मिन्नतों के बावजूद बात नहीं बनी तो बेटों ने 100 रुपयों में एक पटिया खरीदा। पटिये पर मां के शव को बांधा और 80 किलोमीटर दूर स्थित अपने गांव के लिये निकल पड़े। रास्ते में जिसने भी इस दृश्य को देखा वह विस्मित रह गया।

पूर्व मुख्यमंत्री और मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ ने आदिवासी बाहुल्य शहडोल/अनूपपुर जिले से जुड़े इस मामले को बेहद शर्मनाक करार दिया है। उन्होंने कहा है, ‘सरकार गरीबों के हित के बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन शव को ढोने तक की माकूल व्यवस्था नहीं होना मन को दुःखी करता है। सरकार की बदइंतजामी की पोल खोलता है।’

मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता के.के. मिश्रा ने ‘सत्य हिन्दी’ से कहा, ‘मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और बीजेपी की सरकार 18 वर्षों से ज़्यादा वक़्त से सत्ता में है। हमारी सरकार बनी थी, तब हमने शव ढोने सहित गरीबों के लिए अनेक क़दम उठाये थे। सरकार गई तो हमारे जनोन्मुखी निर्णयों को शिवराज सरकार ने पलट दिया।’

उन्होंने आगे कहा, ‘शिवराज सिंह मध्य प्रदेश को अमेरिका जैसी सड़कें देने का दावा करते हैं। स्मार्ट शहरों पर अरबों रुपये उड़ाते हैं। मगर स्थितियाँ आम आदमी के शव की दुर्दशा ख़त्म नहीं होती है। वाहन नहीं मिलने से ऐसे ही शव को ढोने के लिए मजबूर होने वाले दृश्य बार-बार सामने आते हैं।’

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उधर मध्य प्रदेश सरकार के प्रवक्ता और राज्य के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बताया है, ‘मामले की जांच के आदेश दिये गये हैं। क्यों चूक हुई? पता लगाया जा रहा है। संबंधितों पर कार्रवाई होगी।’ 

‘शव वाहन-एंबुलेंस नहीं है’

सरकार ने भले ही जांच के आदेश दिये हैं, लेकिन मेडिकल कॉलेज शहडोल के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया है, ‘कॉलेज में न तो शव वाहन है और न ही एंबुलेंस।’

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संजीव श्रीवास्तव
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