कोरोना वायरस को लेकर दुनिया भर में भले ही दहशत का माहौल हो लेकिन मध्य प्रदेश में सत्ता को लेकर संघर्ष छिड़ा हुआ है और ऐसे में सवाल यह है कि क्या कोरोना वायरस को रोकना नाथ सरकार की प्राथमिकता है? क्या विपक्षी दल बीजेपी मध्य प्रदेश में कोरोना के बढ़ते ख़तरे को लेकर चिंतित और संजीदा है? ये और ऐसे अनेक सवाल, कांग्रेस और बीजेपी द्वारा प्रदेश की सत्ता हासिल करने के लिए चली जा रहीं एक से बढ़कर एक सियासी चालों के बीच मध्य प्रदेश का आम आदमी उठा रहा है।
मध्य प्रदेश में फिलहाल कोरोना का कोई पाॅजीटिव रोगी अभी तक नहीं मिला है। विदेश से आने वाले और अपने काम या रोजी-रोटी के लिए विदेश जाने वालों पर शासन और प्रशासन नज़र रख रहा है। भोपाल और इंदौर में विदेश से लौटे कुछ लोगों को मंगलवार को स्वास्थ्य महकमे ने अपनी निगरानी में ले लिया। भोपाल में बुधवार को एक एयर होस्टेस और दो अन्य नागरिकों को विदेश से वापस आने के बाद अलग रखा गया है।
कोरोना से पूरी दुनिया और भारत के कई राज्य जहां अपने-अपने स्तर पर निपटने के लिए रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं, वहीं, मध्य प्रदेश के नेता कोरोना से दो-दो हाथ करने के लिए एकजुट होने के बजाय आपस में भिड़े हुए हैं। जबकि प्रदेश की साढ़े सात करोड़ जनता इस वायरस के बढ़ते प्रकोप से खौफ़जदा है। ऐसा नहीं है कि कमलनाथ सरकार ने इस वायरस से निपटने के इंतजाम नहीं किये हैं लेकिन इन इंतजामों को नाकाफ़ी माना जा रहा है।
दिलचस्प तथ्य यह है कि ‘COVID-19’ यानी कोरोना वायरस का ही हवाला देकर विधानसभा के बजट सत्र को 26 मार्च तक के लिए आगे बढ़ाया गया था।
तमाम राजनीतिक उठापटक के बीच कांग्रेस और बीजेपी मध्य प्रदेश में कोरोना के संभावित ख़तरे को लेकर सतर्क नहीं हैं। दोनों ही दलों का पूरा फ़ोकस सरकार बचाने और गिराने पर है। सत्ता को लेकर छिड़े द्वंद्व के बीच कमलनाथ सरकार ने पिछले सप्ताह भर में चार-पांच बार कैबिनेट की बैठकें कीं लेकिन इन बैठकों में कोरोना को लेकर कुछ ठोस फ़ैसला नहीं हुआ।
कांग्रेस विधायक दल की एक दर्जन के लगभग बैठकें हुईं, लेकिन इस वायरस से लड़ने संबंधी कोई बात विधायक दल की बैठक से निकलकर मीडिया तक नहीं आयी। बीजेपी ने भी आधा दर्जन से ज्यादा बैठकें अपने विधायकों के साथ कीं, लेकिन उसने भी इस जानलेवा वायरस से लड़ने अथवा बचने से जुड़े बेहद ज़रूरी मुद्दे पर कोई बात नहीं की।
राजभवन को सिर्फ ‘फ्लोर टेस्ट’ की चिंता!
प्रदेश की जनता में यह चर्चा भी आम है कि महामहिम राज्यपाल लालजी टंडन कमलनाथ सरकार के अल्पमत में आने और इसकी वजह से सूबे में संवैधानिक संकट खड़ा होने पर तो चिंता जता रहे हैं, लेकिन राजभवन ने कोरोना वायरस से निपटने को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई है। लोगों का यह भी कहना है कि महामहिम को कोरोना वायरस से जुड़ी तैयारियों में कमी-पेशियों को लेकर कमलनाथ सरकार के ख़िलाफ़ सख्त होना चाहिए लेकिन राजभवन की चिंता ‘फ्लोर टेस्ट’ कराये जाने तक ही ‘सीमित’ है।
अपनी राय बतायें