बीएसपी प्रमुख मायावती ने एक तरफ़ जहाँ लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का एलान किया है, वहीं इशारों-इशारों में प्रधानमंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी भी पेश कर दी है। मायावती के लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का एलान के बाद दलित समाज में बेचैनी दिखी तो मायावती ने फ़ौरन ट्वीट करके कहा कि दलित समाज घबराए नहीं। साल 1995 और 97 में जब वह मुख्यमंत्री बनी थींं तब भी उन्होंने विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ा था। प्रधानमंत्री बनने के लिए किसी सदन का सदस्य होना ज़रूरी नहीं है। प्रधानमंत्री बनने के बाद 6 महीने के भीतर लोकसभा या राज्यसभा का सदस्य बनना ज़रूरी है।
क्या प्रधानमंत्री की दावेदारी पर भी चमत्कार दिखा पाएँगी मायावती?
- राजनीति
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- 23 Mar, 2019

मायावती का राजनीतिक संघर्ष सचमुच चमत्कारिक रहा है, लेकिन क्या वह इस लोकसभा चुनाव में सीटें जीतने और प्रधानमंत्री की दावेदारी पर कुछ वैसा ही चमत्कार दिखा पाएँगी?