बीएस येदियुरप्पा के कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा देने के बाद अगले मुख्यमंत्री के लिए कई नाम चर्चा में हैं। बेंगलुरू में थोड़ी देर में बीजेपी विधायक दल की बैठक शुरू होगी। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान व जी. किशन रेड्डी बतौर पर्यवेक्षक इसमें शामिल होंगे। बीजेपी के कर्नाटक प्रभारी अरुण सिंह भी बेंगलुरू पहुंच चुके हैं। अगला मुख्यमंत्री कौन होगा इसे लेकर बीजेपी हाईकमान तमाम समुदायों के नेताओं के नामों पर विचार कर रहा है।
लिंगायत समुदाय
मुख्यमंत्री पद के लिए लिंगायत समुदाय से जिन दावेदारों के नाम की सबसे ज़्यादा चर्चा है, उनमें कर्नाटक के गृह मंत्री बसवराज बोम्मई का नाम सबसे ऊपर बताया जा रहा है। बसवराज बोम्मई को येदियुरप्पा का भरोसेमंद माना जाता है और उनके पिता एसआर बोम्मई कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे थे।
इसके बाद राज्य के खनन मंत्री मुरूगेश निरानी का नाम है। निरानी ने बीते कई दिनों में कई बार दिल्ली का दौरा कर अमित शाह सहित कई बड़े नेताओं से मुलाक़ात की है। निरानी का लिंगायत समुदाय में अच्छा प्रभाव माना जाता है।
ब्राह्मण समुदाय
ब्राह्मण समुदाय से आने वाले नेताओं में पार्टी के महासचिव (संगठन) बीएल संतोष का नाम आगे चल रहा है। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी का नाम भी चर्चा में है।
इसके अलावा ब्राह्मण समुदाय के एक और नेता और विधानसभा के स्पीकर विश्वेश्वर हेगड़े कगेरी का नाम भी चर्चा में है। कर्नाटक में 1988 के बाद से अब तक कोई भी ब्राह्मण मुख्यमंत्री नहीं बना है। रामकृष्ण हेगड़े राज्य के अंतिम ब्राह्मण मुख्यमंत्री थे।
वोक्कालिगा समुदाय
वोक्कालिगा समुदाय से आने वाले बीजेपी के महासचिव सीटी रवि, राजस्व मंत्री आर. अशोक और उप मुख्यमंत्री सीएन अश्वथ नारायण का नाम भी मुख्यमंत्री पद के दावेदारों की दौड़ में शामिल है। सीटी रवि का दक्षिण कर्नाटक में अच्छा प्रभाव माना जाता है। वोक्कालिगा लिंगायत के बाद प्रमुख समुदाय है और इसका बड़ा हिस्सा कांग्रेस का समर्थन करता है। इस समुदाय में आधार बढ़ाने के लिए पार्टी इसके किसी नेता का चयन कर सकती है।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार वोक्कालिगा समुदाय से ही आते हैं। राज्य में वोक्कालिगा समुदाय की आबादी 15 फ़ीसदी है और इस समुदाय के नेता लंबे वक़्त से मांग करते रहे हैं कि उन्हें भी राज्य में लिंगायतों के बराबर राजनीतिक महत्व दिया जाना चाहिए।
नाराज़गी मोल नहीं लेगी बीजेपी
येदियुरप्पा को लिंगायत समुदाय का सबसे प्रभावशाली नेता माना जाता है। कर्नाटक में लिंगायत समुदाय की आबादी 17 फ़ीसदी है। 224 सीटों वाले कर्नाटक में इस समुदाय का असर 90-100 विधानसभा सीटों पर है। लिंगायत समुदाय के सभी प्रमुख मठाधीश और धार्मिक-आध्यात्मिक गुरु भी येदियुरप्पा का खुलकर समर्थन करते हैं।
येदियुरप्पा के इस्तीफ़े के बाद लिंगायत संतों की नाराज़गी को देखते हुए कहा जा रहा है कि ऐसे में बीजेपी येदियुरप्पा की पसंद को नज़रअंदाज नहीं करेगी।
बीजेपी को यह भी ध्यान में रखना होगा कि कांग्रेस-जेडीएस से टूटकर आए विधायक नाराज़ न हों। ये विधायक येदियुरप्पा के नेतृत्व में भरोसा करके ही बीजेपी में आए थे। ऐसे विधायकों की संख्या 12 है।
दलित समुदाय
कर्नाटक में दलित मुख्यमंत्री की मांग भी उठ रही है। इस समुदाय से आने वाले और उप मुख्यमंत्री गोविंद करजोल और बी. श्रीरामुलु का नाम भी चर्चा में है।
पार्टी में कुछ लोगों का यह भी मानना है कि इस पद पर आरएसएस से जुड़े किसी शख़्स को बिठाया जाना चाहिए जैसे नरेंद्र मोदी को 2001 में गुजरात में मुख्यमंत्री बनाया गया था।
चौंकाने वाला होगा फ़ैसला?
यहां यह भी ध्यान रखना होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चौंकाने वाले फ़ैसले लेने के लिए जाने जाते हैं। जाट बहुल हरियाणा में ग़ैर जाट मनोहर लाल का चयन हो, झारखंड में ग़ैर आदिवासी रघुवर दास का चयन हो या फिर ताज़ा मामले में उत्तराखंड में एकदम युवा पुष्कर सिंह धामी का, बीजेपी के इन फ़ैसलों ने लोगों को चौंकाया है और ये फ़ैसले बिना प्रधानमंत्री मोदी की सहमति के लिए गए होंगे, ऐसा नहीं कहा जा सकता।
ऐसा ही कुछ कर्नाटक के लिए भी कहा जा रहा है कि हो सकता है कि यहां भी पार्टी चौंकाने वाला फ़ैसला ले ले।
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