कैबिनेट का विस्तार करने के बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के ख़िलाफ़ उनके राजनीतिक विरोधियों ने नए सिरे से मोर्चा खोल दिया है। दक्षिण के इस दिग्गज नेता पर उनके विरोधियों ने आरोप लगाया है कि कैबिनेट के विस्तार में उन्होंने ‘अपने लोगों’ को अहमियत दी है। येदियुरप्पा को अपनी कैबिनेट के विस्तार के लिए लंबे वक़्त तक दिल्ली के चक्कर काटने पड़े थे।
कर्नाटक बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने कहा है कि कैबिनेट विस्तार में उन्हीं लोगों को मंत्री बनाया गया है जिन्होंने येदियुरप्पा को ब्लैकमेल किया या जो उनके क़रीबी लोग हैं।
एनडीटीवी के मुताबिक़, वरिष्ठ बीजेपी नेता बसनगौड़ा आर. पाटिल ने कहा, ‘येदियुरप्पा ने केवल उन्हीं लोगों को मंत्री बनाया जिन्होंने उन्हें सीडी होने की वजह से ब्लैकमेल किया और ख़ूब रकम भी दी। ब्लैकमेल करने वाले ऐसे तीन लोगों में से दो को मंत्री और एक को राजनीतिक सचिव बनाया गया है।’ उन्होंने कहा कि समर्पण, जाति, वरिष्ठता, क्षेत्रीय समीकरणों का ध्यान नहीं रखा गया।
पाटिल के अलावा ऐसे कई नेता हैं जो कैबिनेट विस्तार के कारण नाराज हैं। इनमें एएच विश्वनाथ, सतीश रेड्डी, शिवनगौड़ा नायक और येदियुरप्पा के क़रीबी रेणुकाचार्य भी शामिल हैं।
कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस की सरकार गिरने के बाद जब येदियुरप्पा फिर से मुख्यमंत्री बने, उसके बाद यह तीसरा मंत्रिमंडल विस्तार था और हर विस्तार के बाद उनके ख़िलाफ़ कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
बीजेपी विधायक सतीश रेड्डी ने भी ट्वीट कर कैबिनेट विस्तार पर सवाल उठाए हैं। रेड्डी ने कहा, ‘मंत्री पद के लिए लोगों को चुनने के क्या मानक थे। क्या आपको हमारी पार्टी में कोई युवा नेता नहीं मिला जिसे आप कैबिनेट में शामिल करते।’ रेड्डी ने ‘द न्यूज़ मिनट’ से कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है जब पांच एमएलसी को मंत्री बना दिया गया।
लिंगायतों को बढ़ावा देने का आरोप
विधायक एएच विश्वनाथ ने कहा है कि उन्हें कैबिनेट से बाहर रखे जाने के कारण दुख पहुंचा है। उन्होंने आरोप लगाया कि कैबिनेट में लिंगायत समुदाय के मंत्री ज़्यादा हैं। गौरतलब है कि येदियुरप्पा लिंगायत समुदाय से ही आते हैं। उन्होंने येदियुरप्पा पर आरोप लगाया कि वे दलित, आदिवासी, ओबीसी और अल्पसंख्यक मतदाताओं को भूल गए हैं।
वरिष्ठ नेताओं की नाराज़गी का एक कारण यह भी है कि कांग्रेस और जेडीएस से आए 17 विधायकों की वजह से उन्हें कैबिनेट में जगह नहीं मिल पाई है। इन 17 में से 15 को मंत्री बना दिया गया है जबकि बीजेपी के कई बड़े नेता अभी इंतजार में ही हैं।
वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि बाक़ी बची हुई मंत्री पद की सीटों पर येदियुरप्पा ने अपने क़रीबियों को नियुक्त कर दिया है और वे अभी भी खाली हाथ हैं। नाराज़ लोगों में येदियुरप्पा के क़रीबी उमेश कट्टी और मुरुगेश निरानी भी शामिल हैं।
आलाकमान संग खटपट
येदियुरप्पा के बीजेपी बीजेपी आलाकमान से रिश्ते ठीक नहीं चल रहे हैं। वह 75 साल की उम्र की सीमा को पार कर चुके हैं और आलाकमान उन्हें किसी राज्य का गवर्नर बनाकर राज्य की राजनीति से उनकी विदाई कराना चाहता है। जबकि येदियुरप्पा इसके लिए तैयार नहीं हैं।
येदियुरप्पा का पलटवार
कर्नाटक में अपने दम पर बीजेपी का कमल खिलाने वाले येदियुरप्पा झुकने के मूड में बिलकुल नहीं हैं। बीजेपी नेताओं के तमाम हमलों के जवाब में येदियुरप्पा ने कहा है कि अगर पार्टी के किसी विधायक को कोई आपत्ति है तो वे दिल्ली जा सकते हैं, वे हमारे राष्ट्रीय नेताओं से मिलकर और अपनी शिकायतों के बारे में बता सकते हैं। इससे मुझे कोई दिक्कत नहीं है लेकिन मैं उनसे कहूंगा कि वे अनाप-शनाप बोलकर पार्टी की छवि ख़राब न करें। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उनके बस में जो होगा, वह सब कुछ करेंगे। उन्होंने बयानबाज़ी करने वालों को चेताया।
‘ये ब्लैकमेलर्स जनता पार्टी है’
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार ने बीजेपी के भीतर चल रही इस लड़ाई को लेकर कहा है कि ब्लैकमेलिंग के इस मामले की जांच होनी चाहिए। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘बीजेपी अब ब्लैकमेलर्स जनता पार्टी बन गई है और बीजेपी के ही विधायक येदियुरप्पा पर ब्लैकमेल होने का आरोप लगा रहे हैं। ईडी को इस मामले का स्वत: संज्ञान लेना चाहिए और इसकी जांच हाई कोर्ट के जज से करानी चाहिए।’
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