कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा के नाती शशिधर मार्डी पर आरोप लग रहा है कि बेंगलुरू की एक कंपनी को वर्क ऑर्डर दिलाने के एवज में उन्हें 5 करोड़ मिले। और इस पैसे का भुगतान उन्हें कोलकाता की तीन फ़र्ज़ी कंपनियों से हुआ।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी. एस. येदियुरप्पा के लिए यह अधिक चिंता की बात इसलिए है कि उनके नाती पर भ्रष्टाचार के आरोप ऐसे समय लग रहे हैं, जब येदियुरप्पा पर अगले विधानसभा चुनाव से पहले पद से हटने का दबाव बढ़ता जा रहा है और वह इससे लगातार इनकार कर रहे हैं।
ख़ास ख़बरें
काम कराने के एवज में पैसे
'इंडियन एक्सप्रेस' के अनुसार, येदियुरप्पा के नाती शशिधर मार्डी पर यह आरोप लग रहा है कि वह जिस कंपनी के निदेशक हैं, उसे कोलकाता की तीन फर्जी कंपनियों से 5 करोड़ रुपए दिए गए हैं।जुलाई 2019 में कर्नाटक की सत्ता पर बीजेपी के काबिज होने के बाद मार्डी बेलग्रेविया इंटरप्राइज़ेज के निदेशक बने और मार्च व जुलाई 2020 में बेलग्रेविया इंटरप्राइज़ेज़ को कोलकाता की शेल कंपनियों से पैसे मिले।
स्टिंग ऑपरेशन
कर्नाटक के स्थानीय टेलीविज़न चैनल 'पावर टीवी' ने एक कार्यक्रम में दावा किया था कि शशिधर मार्डी को पैसे बेंगलुरु में 660 करोड़ रुपए की एक आवासीय परियोजना के ठेके का वर्क ऑर्डर आरसीसीएल नामक एक निजी कंपनी को दिलाने के लिए मिले थे।आरसीसीएल को यह ठेका अप्रैल 2019 में ही दिया गया था, जब कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस की सरकार थी। पर उसे इसका वर्क ऑर्डर नहीं मिल सका था। आरोप है कि मार्डी ने येदियुरप्पा सरकार में अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर यह वर्क ऑर्डर दिलाया।
क़र्ज़?
येदियुरप्पा के नाती शशिधर मार्डी ने 'इंडियन एक्सप्रेस' से कहा कि ये पैसे उन्हें क़र्ज़ के रूप में मिले हैं, जिसके लिये सभी ज़रूरी काग़ज़ात उन्होंने दिए हैं। उन्होंने टीवी चैनल के कार्यक्रम में लगाए गए सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि ये आरोप 'ग़लत मंशा' से लगाए गए हैं, उनके परिवार की 'छवि धूमिल करने के लिए' लगाए गए हैं।टीवी कार्यक्रम एक स्टिंग ऑपरेशन पर आधारित था। उसमें यह भी कहा गया है कि येदियुरप्पा के बेटे बी. वाई. विजयेंद्र और राज्य सरकार के एक अधिकारी ने आरसीसीएल से 17 करोड़ रुपए माँग की थी।
इस कार्यक्रम को दिखाए जाने के बाद पावर टीवी का प्रसारण 28 सितंबर को बंद कर दिया गया था, लेकिन वह 7 अक्टूबर से फिर चालू हो गया है।
कोलकाता कनेक्शन!
इंडियन एक्सप्रेस का कहना है कि उसने रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज़ के काग़ज़ात देखने के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि कोलकाता की तीन कंपनियों से 5 करोड़ रुपए बेलग्रेविया इंटरप्राइज़ेज को मिले, जिसे मार्डी की ही एक और कंपनी वीएसएस एस्टेट्स को ट्रांसफ़र कर दिया गया। मार्डी इन दोनों कंपनियों के निदेशक हैं। लेकिन इंडियन एक्सप्रेस के लोग जब उन कंपनियों के दिए पते पर पहुँचे तो पाया कि वहाँ उन कंपनियों से जुड़ा कुछ भी नहीं है, कोई कामकाज नहीं हो रहा है।इंडियन एक्सप्रेस का कहना है कि बेलग्रेविया के एक्सिस बैंक के खातों में मार्च 2020 में 5.35 करोड़ डाले गए, बाद में ये पैसे वीएसएस एस्टेट को ट्रांसफर कर दिए गए।
कोलकाता की तीन कंपनियों रेमैक डिस्ट्रीब्यूटर्स, गणनायक कमोडिटीज़ और रायघराना सेल्स के जो पता-ठिकाना दिया गया, वहां वे कंपनियाँ नहीं थीं। स्थानीय लोगों ने कहा कि वहाँ कुछ दुकानें थीं, जो बहुत पहले बंद हो गईं।
उसके पास ही काम कर रहे एक आदमी ने कहा कि वह वहां लंबे समय से काम कर रहा है, वह इस कंपनी के बारे में कभी किसी के मुंह से नहीं सुना।
कोलकाता की इन कंपनियों के बारे में मार्डी ने कहा कि 'उन्हें भी इन कंपनियों के बारे में बहुत ज़्यादा नहीं मालूम है।'
मार्डी की कंपनी
मार्डी और ब्रिटेन में बसे संजय श्री ने मिल कर वीएसएस एस्टेट की स्थापना नवंबर 2019 में की थी। इसने कंपनी रजिस्ट्रार के पास अब तक अपने राजस्व का हिसाब नहीं जमा किया है।शशिधर मार्डी ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि 'उनके पास वीएसएस इंटरप्राइजेज की सिर्फ 12 प्रतिशत हिस्सेदारी है, बेलग्रेविया से उनके परिवार का कोई रिश्ता नहीं है।' वे यह भी कहते हैं कि 'वे निजी हैसियत से काम करते हैं और उन्हें उनके परिवार के किसी दूसरे सदस्य से जोड़ कर नहीं देखना चाहिए।' उन्होंने यह सवाल भी उठाया है कि 'क्या कोई आदमी निजी हैसियत से कोई काम धंधा नहीं कर सकता है।'
मार्डी का तर्क
मार्डी तर्क देते रहें, पर इसी तरह के तर्क इस तरह के मामलों में दूसरे संदिग्ध भी देते रहे हैं। उन्हें 5 करोड़ रुपए मिले हैं, वह इससे इनकार नहीं करते, कोलकाता की कंपनी के बारे में उन्हें बहुत ज़्यादा नहीं पता, वह खुद यह कहते हैं। सवाल यह उठता है कि कोलकाता की उस कंपनी ने उन्हें 5 करोड़ रुपए क्यों दिए।सवाल यह भी है कि जिस कंपनी का दिए गए पता पर कोई अस्तित्व ही नहीं है, उसने 5 करोड़ रुपए का क़र्ज़ भला किसी को कैसे दे दिए। और वह भी तब जब पैसे पाना वाला उस कंपनी को बहुत ज़्यादा नहीं जानता!
येदियुरप्पा पर यह दबाव पहले से पड़ता रहा है कि वह पद छोड़ दें और किसी राज्य के राज्यपाल बन जाएं। पर वह अगले चुनाव में पार्टी का नेतृत्व करने की बात करते हैं। वह पद से हटने से लगातार इनकार करते रहे हैं। समझा जाता है कि अब उन पर दबाव बढ़ेगा। अब उनकी मुश्किलें भी बढ़ेंगी। बीजेपी पर ये मुश्किलें ऐसे समय आ रही हैं जब राज्य विधानसभा का चुनाव बहुत दूर नहीं है।
अपनी राय बतायें