कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस की जीत और भाजपा की हार का विश्लेषण लगातार जारी है। कांग्रेस की जीत ने देश के राजनीतिक विमर्श को बदल दिया है। केन्द्र में सत्तारूढ़ भाजपा के लिए ही नहीं अन्य विपक्षी दलों के लिए भी कांग्रेस अब एक चुनौती बन रही है। जो दल अभी तक कांग्रेस को गंभीरता से नहीं ले रहे थे, बल्कि कांग्रेस मुक्त विपक्षी मोर्चा की बात कर रहे थे, उनके स्वर बदलने लगे हैं।

कर्नाटक के चुनाव नतीजों ने एक बात और साफ की है, वो है आदिवासियों का उसके झांसे में नहीं आना। जब से राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू बनी हैं, तब से भाजपा उनके नाम को जबरदस्त ढंग से भुनाने में लगी हुई थी। कर्नाटक में भी कोशिश की गई। रविकान्त बता रहे हैं आदिवासियों ने भाजपा को क्यों खारिज किया।
लेखक सामाजिक-राजनीतिक विश्लेषक हैं और लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में असि. प्रोफ़ेसर हैं।