आपने केंद्र सरकार के मंत्री गिरिराज सिंह का वो बयान शायद सुना होगा जिसमें उन्होंने कहा था कि मुसलिमों को 1947 में पाकिस्तान भेज देना चाहिए था। आपको ये भी याद होगा कि उत्तर प्रदेश जैसा सूबा, जहां मुसलिम आबादी लगभग 4 करोड़ है, वहां बीजेपी ने बीते विधानसभा चुनाव में एक भी मुसलिम को टिकट नहीं दिया था। यही हाल गुजरात का है, जहां अच्छी-खासी मुसलिम आबादी है लेकिन बीजेपी किसी मुसलिम नेता को उम्मीदवार नहीं बनाती, इससे ज़्यादा कुछ अब कर्नाटक में हुआ है।
संविधान की शपथ लेकर कर्नाटक की बीजेपी सरकार में मंत्री बने केएस ईश्वरप्पा ने कहा है कि उनकी पार्टी किसी मुसलिम को उम्मीदवार नहीं बनाएगी।
कर्नाटक में बेलगावी लोकसभा सीट पर उपचुनाव होना है। यह सीट केंद्रीय मंत्री सुरेश अंगड़ी के निधन से खाली हुई है। अंगड़ी का कोरोना संक्रमित होने के कारण निधन हो गया था।
येदियुरप्पा सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री ईश्वरप्पा ने शनिवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा, ‘हम किसी को भी टिकट दे देंगे, चाहे वह कुरुबास हो, लिंगायत हो, वोक्कालिगा हो या फिर ब्राह्मण लेकिन हम निश्चित रूप से किसी मुसलिम को टिकट नहीं देंगे।’ उन्होंने आगे कहा कि मुसलिम को टिकट देने का सवाल ही पैदा नहीं होता और हम ऐसे शख़्स को टिकट देंगे जो हिंदुत्व से जुड़ा होगा।
ईश्वरप्पा पहले भी ऐसे बयान दे चुके हैं, जिससे देश के दो बड़े समुदायों के बीच नफ़रत फैले। 2019 में उन्होंने कहा था, ‘हम कर्नाटक में मुसलिमों को टिकट नहीं देते क्योंकि वे हम पर भरोसा नहीं करते। हम पर भरोसा कीजिए तब हम देखेंगे।’ वह जेडीएस से बीजेपी में आए एक नेता को- क्या पार्टी टिकट देगी, इस सवाल का जवाब दे रहे थे।
कांग्रेस-एआईएमआईएम की कड़ी प्रतिक्रिया
ईश्वरप्पा के बयान पर कांग्रेस और एआईएमआईएम ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने ईश्वरप्पा के बयान पर कहा है कि राज्य सरकार को अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को बंद कर देना चाहिए। शिवकुमार ने कहा, ‘ऐसे लोगों ने संविधान नहीं पढ़ा है, ऐसे लोग संविधान को नहीं जानते और वे संविधान की इज्जत भी नहीं करते और यही आज देश का भाग्य है।’
हैदराबाद के सांसद असदउद्दीन ओवैसी ने ईश्वरप्पा के बयान पर ट्वीट कर कहा कि यह घृणित और शर्मनाक है लेकिन हैरान करने वाला नहीं है। उन्होंने कहा, ‘हिंदुत्व के मुताबिक़ केवल एक समुदाय के पास राजनीतिक ताक़त रहे और बाक़ी लोग ग़ुलाम बने रहें। यह विचारधारा हमारे संविधान के साथ तालमेल नहीं खाती।’ ओवैसी ने कहा कि हमारा संविधान आज़ादी, भाईचारे, समानता और न्याय की बात करता है।
नफ़रती बयानों की फेहरिस्त
बीजेपी नेताओं के मुसलिमों के प्रति ऐसे बयानों की लंबी फेहरिस्त है। पिछले साल शाहीन बाग़ में चल रहे सीएए विरोधी प्रदर्शन को लेकर पश्चिमी दिल्ली के सांसद प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने कहा था, ‘शाहीन बाग़ में बैठे लोग दिल्ली वालों के घरों में घुसकर हमारी बहन-बेटियों के साथ बलात्कार करेंगे, उनको मारेंगे।’
नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ चल रहे प्रदर्शन को निशाने पर लेते हुए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान एक जनसभा में ‘देश के गद्दारों को…का’ नारा लगाया था।
योगी के ज़हरीले बोल
दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रचार के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निशाने पर मुसलिम ही रहे। उन्होंने कई चुनावी सभाओं में कहा कि मुसलिमों ने 1947 में पाकिस्तान नहीं जाकर भारत पर कोई अहसान नहीं किया है। योगी ने शाहीन बाग़ के आंदोलन को लेकर कहा था कि इस प्रदर्शन में वे लोग बैठे हैं जिनके पूर्वजों ने भारत के टुकड़े किये थे। योगी ने कहा था कि कश्मीर में आतंकवादियों का समर्थन करने वाले लोग शाहीन बाग़ में बैठे हैं।सर्जिकल स्ट्राइक करेंगे
हाल ही में हैदराबाद नगर निगम के चुनाव प्रचार के दौरान तेलंगाना बीजेपी के अध्यक्ष बांडी संजय कुमार ने कहा कि अगर बीजेपी हैदराबाद नगर निगम की सत्ता में आई तो पुराने हैदराबाद में सर्जिकल स्ट्राइक करेगी। पुराने हैदराबाद में बड़ी संख्या में मुसलिम रहते हैं। उनका यह बयान किस समुदाय के लिए था, इसे कोई भी आसानी से समझ सकता है।
कोई कार्रवाई नहीं
संविधान से चलने वाले मुल्क़ हिंदुस्तान में एक धर्म के लोगों के ख़िलाफ़ सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक और संविधान की शपथ लेकर राज्य और केंद्र सरकार में मंत्री बनने वाले लोग नफ़रती बयान दे रहे हैं और उनका बाल भी बांका नहीं हो रहा है। ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ बीजेपी ने कोई कार्रवाई नहीं की, कोई पुलिस, जांच एजेंसी किसी ने कुछ नहीं किया। ऐसे में तय माना जाना चाहिए कि बीजेपी के ऐसे नेता इस तरह के बयान आगे भी देते रहेंगे और उनका कुछ नहीं बिगड़ेगा।
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