अगले साल होने वाले चुनाव से पहले कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा विवाद ने काफी तूल पकड़ लिया है। वह भी तब जब दोनों राज्यों में बीजेपी सत्ता में है। केंद्र में भी सत्ता में है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पिछली बैठक में कहा भी था कि कर्नाटक और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रियों ने दशकों पुराने सीमा विवाद में अपने दावों पर तब तक जोर नहीं देने की सहमति जताई है जब तक कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर फ़ैसला नहीं करता। तो सवाल है कि आख़िर कर्नाटक ने विवादित बेलगावी में विशेष सत्र क्यों बुलाया? क्या अमित शाह की बात उनकी पार्टी के लोग ही नहीं सुन रहे हैं? क्या कोई ऐसी हिमाकत कर सकता है?