कर्नाटक में जिस मुस्लिम युवक की हत्या में पुलिस ने पुनीत केरेहल्ली और उसके साथियों के खिलाफ केस दर्ज किए हैं, उसके लिंक बीजेपी नेताओं से पाए गए हैं। हालांकि बीजेपी का कहना है कि पार्टी इस बारे में ज्यादा नहीं जानती है। पुलिस पुनीत केरेहल्ली और उसके साथियों को इदरीस पाशा की हत्या के आरोप में तलाश रही है। इदरीस का शव पिछले शुक्रवार को मिला था। इंडियन एक्सप्रेस ने इस पर विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में कहा गया है कि पुनीत केरेहल्ली को पिछले कुछ वर्षों में धार्मिक मुद्दों को उठाते हुए देखा गया है। उसके संबंध बीजेपी और कर्नाटक में संघ परिवार से जुड़े संगठनों से हैं।
इदरीस पाशा के छोटे भाई ने आरोप लगाया कि मेरा भाई जिस वाहन में था, उस पर मवेशी लदे थे। पुनीत केरेहल्ली गैंग ने भाई पर हमला बोला। वाहन से उतार कर इदरीस पाशा को बिजली का करंट लगाया गया। इंडियन एक्सप्रेस को यूनुस पाशा ने बताया कि इदरीस के बदन पर छाती और पीठ पर जले के निशान पाए गए थे। ऐसा लगता है कि उस पर हमला किया गया था।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक रामनगर जिले के एसपी कार्तिक रेड्डी ने कहा कि वे पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं। केरेहल्ली और उसके साथियों को गिरफ्तार किया जाना अभी बाकी है। हमने उन्हें पकड़ने के लिए टीमों का गठन किया है। पुलिस ने उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 341 (गलत तरीके से रोकना), 504 (शांति भंग करने के इरादे से अपमान करना), और 324 (स्वेच्छा से खतरनाक हथियारों या साधनों से चोट पहुंचाना), आदि के तहत मामला दर्ज किया है।
यूनुस ने जो एफआईआर लिखाई है, उसमें केरहल्ली और उसके गिरोह पर वाहन छोड़ने के लिए उनसे 2 लाख रुपये की मांग करने का भी आरोप लगाया है और मना करने पर उन पर भी हमला करने की घटना का उल्लेख किया गया है।
पुलिस सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि आरोपी केरेहल्ली ने अपने दो साथियों की तरह इदरीस को भागने से रोकने के लिए स्टन गन का इस्तेमाल किया होगा। केरेहल्ली के बेसबॉल बैट और स्टन गन के साथ मवेशियों को ले जा रहे वाहनों को रोकते हुए वीडियो सामने आए हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने इदरीस की हत्या को चुनाव से पहले सांप्रदायिकता भड़काने और मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने के लिए एक सुनियोजित साजिश बताई। उन्होंने इसके लिए गृह मंत्री ज्ञानेंद्र अरागा को "सीधे जिम्मेदार" ठहराया।
कर्नाटक बीजेपी प्रवक्ता एम जी महेश का कहना है कि जांच से तथ्य सामने आने चाहिए। कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि यह स्वाभाविक मौत थी।केरेहल्ली के बीजेपी से जुड़े होने के आरोपों पर महेश ने कहा- मैं पिछले 40 सालों से बीजेपी से जुड़ा हूं, ऐसे बहुत से लोग हैं जो पार्टी के लिए काम करते हैं और मैं पुनीत केरेहल्ली के जुड़ाव के बारे में निश्चित नहीं हूं।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि पुनीत केरहल्ली बेंगलुरु में एक टैक्सी ड्राइवर के रूप में काम करता था। फिर वो ड्राइवर यूनियन का सदस्य बन गया। पार्टी दफ्तरों के चक्कर लगाने के दौरान ही वो कथित तौर पर पहली बार बीजेपी नेताओं के संपर्क में आया। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक केरेहल्ली को जानने वाले एक साथी ड्राइवर का कहना है कि पुनीत केरेहल्ली ने अपनी सामाजिक प्रोफ़ाइल को जाति और धार्मिक नजरिए से बनाया। उसने उत्तेजक वीडियो पोस्ट किए। बीजेपी के लोग उसके साथ दिखाई देने लगे। फिर उसने आरएसएस के कार्यक्रमों में भाग लेना शुरू किया।
केरेहल्ली ने सबसे पहले एक मंदिर के जीर्णोद्धार का अभियान छेड़ा। फिर, जुलाई 2021 में उसने ईसाई मिशनरियों द्वारा साजिश का आरोप लगाते हुए एक वीडियो जारी किया। जब बेगुर झील से एक शिव प्रतिमा को हटाने की मांग आई तो पुनीत केरेहल्ली विरोध में खड़ा हुआ और उस समय उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।
सितंबर 2021 में, केरेहल्ली गिरोह पर आरोप लगा था कि उसने धर्मांतरण का दावा करते हुए एक ईसाई प्रार्थना सभा को बाधित किया था। आखिरकार नगर निगम ने कोविड-19 पाबंदियों का हवाला देते हुए प्रार्थना सभाओं को बंद करने का नोटिस जारी कर दिया।
केरेहल्ली के अभियान चूंकि संघ के हिंदुत्व एजेंडे को आगे बढ़ा रहे थे, इस वजह से ही उसकी हिंदुत्ववादी नेताओं तक सीधी पहुंच बनी। जिसमें उसकी मदद सोशल मीडिया ने की। जिन नेताओं के साथ उसने सोशल मीडिया पर तस्वीरें पोस्ट कीं, उनमें बीजेपी युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बेंगलुरु दक्षिण के सांसद तेजस्वी सूर्य, बीजेपी सांसद प्रताप सिम्हा, तमिलनाडु के प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई, विवादास्पद श्रीराम सेना प्रमुख प्रमोद मुथालिक के अलावा राज्य मंत्री सी एन अश्वथ नारायण और बी सी नागेश भी हैं।
पुनीत केरेहल्ली पर अप्रैल 2022 में जब उसे मिले दान के बारे में सवालों का सामना करना पड़ा तो उसने बेंगलुरु में हलाल मांस के बहिष्कार की मांग का अभियान शुरू कर दिया।
पुनीत केरेहल्ली बीजेपी नेता कपिल मिश्रा (बाएं) के साथ। कपिल मिश्रा पर उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगों के दौरान कई आरोप लगे थे।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक पिछले साल अगस्त में, बेंगलुरु की हलासुरगेट पुलिस ने पुनीत के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में मामला दर्ज किया था। इस मामले में उसे गिरफ्तार किया गया था और वह जमानत पर छूट गया था।
पिछले साल नवंबर में, केरेहल्ली और उसके सहयोगियों को विश्वेश्वरपुरम में एक धार्मिक उत्सव में मुस्लिम व्यापारियों को भाग लेने की अनुमति देने के लिए अधिकारियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने की धमकी देने के बाद हिरासत में लिया गया था। इस मामले को लेकर केरेहल्ली ने स्थानीय बीजेपी विधायक उदय गरुडाचर को भी निशाने पर लिया।
पिछले साल दिसंबर में, केरेहल्ली ने राष्ट्र रक्षा नामक एक मंच और अधवा नामक एक यूट्यूब चैनल लॉन्च किया। जिस पर उसने विशेष रूप से पशु व्यापारियों को रोके जाने के वीडियो पोस्ट किए। तब से, केरेहल्ली पर पशु व्यापारियों से पैसे वसूलने के आरोप लगते रहे हैं। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि वे केरहल्ली के खिलाफ पिछले मामलों के बारे में जानकारी एकत्र कर रहे हैं।
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