कर्नाटक के जयनगर विधानसभा सीट पर वोटों की गिनती शनिवार को आधी रात के बाद भी जारी रही और कांग्रेस की सौम्या रेड्डी को चुनाव अधिकारियों ने विजेता घोषित कर दिया। लेकिन इसके बाद हुए जबरदस्त ड्रामे के बाद चुनाव अधिकारियों ने बीजेपी प्रत्याशी सीके राममूर्ति को विजयी घोषित कर दिया और आनन-फानन में उन्हें विजेता का सर्टिफिकेट भी दे दिया। लेकिन 16 सीटों से भाजपा को मिली इस जीत पर सवाल ज्यादा हो रहे हैं। सोशल मीडिया पर जो लोग सौम्या रेड्डी को जीता हुआ बताकर उनके फोटो रात में ही ट्वीट कर चुके थे लेकिन आज सुबह जब उन्हें जयनगर से भाजपा के जीतने की सूचना मिली तो उन्हें जबरदस्त धक्का लगा। यहां के जो वीडियो सामने आए हैं उसमें कांग्रेस ने भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या पर मतदान केंद्र के अंदर मोबाइल का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है।
वोटिंग काउंटर सेंटर पर मौजूद एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि सौम्या रेड्डी को पहले 294 मार्जिन के साथ विजेता घोषित किया गया था। लेकिन बीजेपी ने डाक मतपत्रों में गड़बड़ी का हवाला देते हुए पुनर्मतगणना की मांग की। पुनर्मतगणना के बाद बीजेपी प्रत्याशी को विजेता घोषित कर दिया गया। बहरहाल, कांग्रेस नेताओं ने कहा है कि वो इसे अदालत में चुनौती देंगे।
चुनाव आयोग की वेबसाइट के अनुसार, जीत का अंतर 16 मतों का है -सौम्या रेड्डी के 57,781 मतों के मुकाबले राममूर्ति को 57,797 मत मिले।
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस ने मतगणना प्रक्रिया में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए कहा कि चुनाव अधिकारियों ने पहले रेड्डी को विजेता घोषित कर दिया था, लेकिन भाजपा द्वारा पुनर्सत्यापन और पुनर्गणना के अनुरोधों पर, राममूर्ति के 160 वोट, जिन्हें सुबह खारिज कर दिया गया था, को वैध माना गया और चुनाव आयोग (ईसी) बाद में राममूर्ति को विजेता घोषित कर दिया।
अब सवाल यह है कि जब चुनाव आयोग पहले ही सौम्या रेड्डी को विजेता घोषित कर चुका है तो वे इसे कैसे रद्द कर सकते हैं और दूसरे विजेता की घोषणा कैसे कर सकते हैं। पोस्टल बैलेट वोट पर गैर राजपत्रित अधिकारी के हस्ताक्षर थे। ऐसे में इसे वैध नहीं माना जा सकता है।
बहरहाल, जैसे ही यह खबर सुबह होते-होते फैली, बीजेपी खेमा जश्न मनाने लगा, पटाखे फोड़े जाने लगे और पार्टी के गढ़ माने जाने वाले जयनगर को फिर से हासिल करने के बाद जश्न शुरू हो गया।
आधी रात को, भाजपा के लोकसभा सांसद तेजस्वी सूर्या ने ट्वीट किया, “हमने जयनगर को पुनः प्राप्त कर लिया है! बीएन विजयकुमार सर को हमारी विनम्र श्रद्धांजलि।”
कांग्रेस ने वोटों की गिनती में हेराफेरी का दावा करते हुए भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या, भाजपा नेता आर अशोक और केंद्र सरकार के अधिकारियों द्वारा इस मामले में हस्तक्षेप का आरोप लगाया है। कांग्रेस नेता डी के सुरेश और डी के शिवकुमार, रेड्डी के पिता रामलिंगा रेड्डी और एक कानूनी टीम मतगणना केंद्र पर रात में ही पहुंच गए थे।
सुरेश और पुलिस अधिकारियों के बीच उस समय हाथापाई हो गई जब कांग्रेस समर्थकों ने मतगणना केंद्र में जबरन घुसने की कोशिश की। केंद्र के अंदर भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या को अपने मोबाइल फोन का उपयोग करते हुए देखा गया है, यह नियमों का उल्लंघन है। उन्हें कैसे मोबाइल ले जाने की अऩुमति मिली। इसका जवाब किसी के पास नहीं है। कांग्रेस ने इस घटनाक्रम का वीडियो सबूत होने का दावा किया है।
विवाद बढ़ने पर पुलिस ने देर रात को ही गिनती केंद्र के 100 मीटर के दायरे में धारा 144 लगा दी।
बेंगलुरू पर भाजपा की पकड़
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक बेंगलुरु शहर के चुनाव नतीजों ने कोई खास आश्चर्य नहीं दिखाया। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही अपनी-अपनी सीटों पर टिके रहने में कामयाब रहे। बीजेपी 2018 के नतीजों के मुकाबले एक सीट बढ़ाने में कामयाब रही और उसे कुल 16 सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस को 12 सीटें मिलीं।
जेडीएस को एक भी सीट नहीं मिली। भाजपा ने इस बार जेडीएस से दशरहल्ली सीट छीन ली।
बेंगलुरू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने व्यापक चुनाव अभियान चलाया था। उन्होंने 22 विधानसभा क्षेत्रों को कवर करते हुए शहर में तीन बड़े रोड शो किए। भाजपा "मोदी लहर" के जरिए कम से कम 18-20 सीटों पर जीत का लक्ष्य बना रही थी। हालांकि बेंगलुरु शहर के मतदाता हमेशा अपने विधायकों को उनकी लोकप्रियता और कार्यों के आधार पर चुनते हैं। 2018 में, बीजेपी को 11 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस को 15 और जेडीएस को दो सीटें मिली थीं। लेकिन 2019 के दलबदल के बाद, भाजपा की संख्या यहां से 15 हो गई, जबकि कांग्रेस की संख्या 12 और जेडीएस की संख्या एक पर रह गई।
विजय नगर और गोविंदराज नगर में, कांग्रेस के पिता-पुत्र की जोड़ी एम कृष्णप्पा और प्रिय कृष्णप्पा ने आराम से जीत हासिल की।
ये वे सीटें भी थीं जहां मोदी ने बेंगलुरु उत्तर लोकसभा क्षेत्र में अपना पहला रोड शो किया था। भाजपा राजाजी नगर, सी वी रमन नगर, मल्लेश्वरम, चिकपेट, बसवनगुडी, पद्मनाबा नगर, येलहंका, महादेवपुरा, बोम्मनहल्ली और दक्षिण बैंगलोर में भी अपनी पकड़ बनाए रखने में सफल रही।
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