बेंगलुरू में मंगलवार की रात भड़की हिंसा ने कांग्रेस को परेशानी में डाल दिया है। बाग़ी विधायकों की वजह से कर्नाटक में सत्ता गँवा चुकी कांग्रेस अब अपने ही एक विधायक के रिश्तेदार की वजह से बड़े राजनीतिक संकट में घिर गयी है। कांग्रेस के सामने एक तरफ जहाँ अपने अल्पसंख्यक मुसलिम वोटबैंक को बचाने का संकट है तो दूसरी तरफ बहुसंख्यक हिंदुओं की नाराज़गी से बचने की बड़ी चुनौती।
इसलामी संगठन पीपल्स फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफ़आई की राजनीतिक पार्टी - सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) एक तरफ कांग्रेस के मुसलिम वोट बैंक में सेंध लगा रही है तो दूसरी तरफ बीजेपी हिंदुओं को अपनी तरफ लामबंद करने में जुटी है। ऐसे में एक कांग्रेसी विधायक के रिश्तेदार के एक फेसबुक पोस्ट ने विरोधियों की ताकत बढ़ा दी है।
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मामला क्या है?
बता दें कि बेंगलुरू शहर में पुलकेशीनगर से कांग्रेस के दलित विधायक अखंड श्रीनिवास मूर्ति के भतीजे नवीन ने फ़ेसबुक पर हज़रत मुहम्मद पर एक विवादित बयान पोस्ट किया। इसी बयान से नाराज़ लोगों ने पहले विधायक के मकान के पास तोड़फोड़ और आगजनी की और इसके बाद पुलिस थाने को भी निशाना बनाया। पुलिस की कार्रवाई में तीन लोगों की मौत हो गई।उपद्रवियों ने जो आगजनी की, पत्थरबाज़ी की, उससे करीब 50 पुलिसकर्मी ज़ख्मी हुए, कई नागरिक घायल हुए और संपत्ति का भारी नुक़सान हुआ। पुलिस को शंका हुई कि यह हिंसा कहीं साम्प्रदायिक दंगों का रूप न ले ले। एहतियातन पुलिस ने हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया और शहर के ज़्यादातर इलाकों में धारा 144 लगा दी है। पुलिस स्थिति के नियंत्रण में होने का दावा कर रही है, लेकिन बेंगलुरू के कई इलाक़ों में तनाव की स्थिति है। इस तनाव के बीच मंगलवार की रात कुछ मुसलिम युवकों ने रात भर हिंसा प्रभावित इलाक़े के एक मंदिर के पास पहरा दिया ताकि कोई वहाँ हमला न कर दे।
पुलिस ने फ़ेसबुक पर विवादित पोस्ट डालने वाले कांगेसी विधायक के भतीजे नवीन को हिरासत में ले लिया है, लेकिन तनाव बरक़रार है। नवीन का कहना है कि किसी ने उसका फ़ेसबुक एकाउंट हैक कर लिया है और विवादित पोस्ट उसने नहीं डाली है। इस बात पर कोई यकीन नहीं कर रहा है।
पशोपेश में कांग्रेस
सूत्रों का कहना है कि विधायक के मकान और पुलिस थाने पर जो हमला हुआ, उसमें सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया के कट्टरपंथी कार्यकर्ता शामिल थे। कांग्रेस के कई नेताओं को भी यही शक है।चूंकि मामला एक दलित विधायक का है और मुसलमानों से जुड़ा है, कई कांग्रेसी नेताओं को समझ में नहीं आ रहा है कि क्या किया जाए। कई बड़े कांग्रेसी नेताओं ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध ली है। मामला काफी संवेदनशील है, इस वजह से कई कांगेसी नेताओं को चुप रहने में ही अपनी भलाई नज़र आ रही है। चुप्पी के पीछे एक बड़ी राजनीतिक वजह है।
अगर कांग्रेस ने हिंसा का पुरज़ोर विरोध किया तो इसका सीधा फायदा सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया को होगा, जो पूरे मुसलिम वोटबैंक पर अपना एकाधिकार जमाने की कोशिश में है। अगर कांग्रेस ने हिंसा के ख़िलाफ़ कुछ नहीं बोला और किया तो, बहुसंख्यक हिंदुओं के उससे बहुत दूर चले जाने का डर है।
अगर विधायक के ख़िलाफ़ बयान दिया गया, कार्रवाई की गयी तो दलितों की नाराज़गी झेलने के लिए मजबूर होने का ख़तरा है। इन बातों से साफ है कि अपने एक विधायक के रिश्तेदार की एक ग़लती ने कांग्रेस को कर्नाटक में बुरी तरह फंसा दिया है।
मुसलिम-दलित समीकरण
ग़ौर करने वाली बात यह है कि पुलकेशीनगर विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। लेकिन यहाँ मुसलिम वोटरों की संख्या काफी बड़ी है। बेंगलुरू शहर की 12 विधानसभा सीटों में मुसलिम मतदाता विजेता चुनने में बड़ी भूमिका निभाते हैं। इन 12 विधानसभा क्षेत्रों पर सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया की नज़र है।कांग्रेस के लिए मुसलिम वोटों के कटने का सीधा मतलब जनाधार कम होना और हार की संभावना बढ़ना है। इसी वजह से मुसलिमों की भावनाओं को बुरी तरह से आहत करने वाले कांग्रेसी नेता के रिश्तेदार के एक फ़ेसबुक पोस्ट ने कांग्रेस को बुरी तरह से फंसा दिया है।
एसडीपीआई के जाल में कांग्रेस?
महत्वपूर्ण बात यह भी है कि कांग्रेस के लिए सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया बड़ी परेशानियाँ खड़ी कर रही है। कर्नाटक और केरल में यह पार्टी कांग्रेस के मुसलिम वोटबैंक में सेंध लगते हुए अपना जनाधार बढ़ाने की कोशिश में है। कांग्रेस इस पार्टी से राजनीतिक समझौता इस वजह से नहीं करना चाहती है क्योंकि कई लोगों की नज़र में यह कट्टरपंथी है।हैरान करने वाली बात यह कि कांग्रेस इस पार्टी का खुलकर विरोध भी नहीं कर रही है क्योंकि उसे डर है कि विरोध से कहीं उसके मुसलिम वोटर न दूर हो जाएँ। लेकिन अब कांग्रेस के रणनीतिकार यह जान चुके हैं कि सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया से कांग्रेस को भारी नुकसान हो सकता है और अब समय आ गया है कि इससे निपटने के लिए कारगर नीति बनाई जाए।
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