सियासी विरोधियों के कारण लंबे वक़्त से मुश्किलों का सामना कर रहे कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को लेकर एक बार फिर बवाल तेज़ हो सकता है। राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाओं के बीच येदियुरप्पा ने कहा है कि अगर बीजेपी आलाकमान उनसे इस्तीफ़ा देने के लिए कहेगा तो वे इसके लिए राजी हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि जब तक आलाकमान का भरोसा उन पर है, वह इस पद पर काम करते रहेंगे। दूसरी ओर कर्नाटक कांग्रेस ने कहा है कि राज्य की बीजेपी इकाई में अंतहीन गुटबाज़ी है।
येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने की चर्चाएं कर्नाटक के सियासी गलियारों में लगातार तैरती रहती हैं। ऐसी ही चर्चाएं बीते दिनों फिर से शुरू हुई हैं। इस बीच, बीजेपी के 65 विधायकों ने ख़त लिखकर मांग की है कि येदियुरप्पा के विरोधियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाए।
पत्रकारों के इस सवाल पर कि उनके ख़िलाफ़ कुछ असंतुष्ट मंत्रियों ने शिकायत की है, मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मामले में वह अपनी बात साफ कर चुके हैं और बाक़ी सब आलाकमान पर छोड़ दिया है।
समर्थन में आए कतील
इस बीच, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष नलिन कुमार कतील येदियुरप्पा के समर्थन में उतर आए हैं। कतील ने रविवार को कहा कि राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाएं बेबुनियाद हैं और पार्टी में किसी भी स्तर पर इसे लेकर चर्चा नहीं हुई है। कतील ने रविवार को मेंगलुरू में कहा कि येदियुरप्पा हमारे नेता हैं और उनके पास लंबा अनुभव है। उन्होंने कहा कि राज्य इकाई के नेताओं के बीच जो मतभेद थे, उन्हें दूर कर लिया गया है।
येदियुरप्पा भी इस बात को जानते हैं कि उनके विरोधी उन्हें हटाने के लिए सक्रिय हैं। इसीलिए उन्होंने पिछले साल अक्टूबर में अपने क़रीबी 20 विधायकों को अलग-अलग सरकारी निगमों का अध्यक्ष बना दिया था। ऐसा उन्होंने अपनी सियासी ताक़त को बढ़ाने के लिए किया था।
बेटे को लेकर आपत्ति
येदियुरप्पा अपनी सियासी विरासत अपने बेटे विजयेंद्र को सौंपना चाहते हैं। विपक्षी नेता आरोप लगाते हैं कि कर्नाटक सरकार में सभी बड़े फ़ैसले विजयेंद्र ही ले रहे हैं और येदियुरप्पा सिर्फ नाम मात्र के मुख्यमंत्री रह गए हैं। विपक्ष को ही नहीं बल्कि बीजेपी के कई नेताओं को भी विजयेंद्र के दख़ल से आपत्ति है।
हालांकि केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा है कि येदियुरप्पा ने ऐसा कभी नहीं कहा कि वे इस्तीफ़ा देकर घर चले जाएंगे बल्कि उन्होंने यह कहा है कि अगर इस संबंध में पार्टी हाईकमान कोई फ़ैसला लेता है तो वे उसका पालन करेंगे।
कर्नाटक कांग्रेस ने कहा है कि बीजेपी में चल रही अंतहीन गुटबाज़ी की वजह से राज्य में सरकार का कामकाज प्रभावित हो रहा है। कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने ट्वीट कर कहा कि ताज़ा राजनीतिक हालात की वजह से कोरोना महामारी से निपटने के काम पर भी असर पड़ा है क्योंकि मुख्यमंत्री और मंत्रियों को केवल अपनी कुर्सी की चिंता है।
मुश्किलों में घिरे हुए हैं येदियुरप्पा
इस साल मार्च में कैबिनेट मंत्री के. एस. ईश्वरप्पा ने राज्यपाल को पत्र लिखकर येदियुरप्पा की शिकायत की थी। अपनी कैबिनेट का विस्तार करने के लिए भी येदियुरप्पा को खासा संघर्ष करना पड़ा था। आलाकमान से लंबे वक़्त तक हरी झंडी न मिलने के कारण कैबिनेट का विस्तार नहीं हो सका था।
जैसे-तैसे कुछ नेताओं को कैबिनेट में शामिल किया गया था तो कर्नाटक बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने कहा था कि कैबिनेट विस्तार में उन्हीं लोगों को मंत्री बनाया गया है जिन्होंने येदियुरप्पा को ब्लैकमेल किया या जो उनके क़रीबी लोग हैं।
वरिष्ठ बीजेपी नेता बसनगौड़ा आर. पाटिल, एएच विश्वनाथ, सतीश रेड्डी, शिवनगौड़ा नायक येदियुरप्पा से नाराज़ बताए जाते हैं।
कई नेता हैं दौड़ में
कर्नाटक में बीजेपी के कई नेता मुख्यमंत्री बनने की कतार में हैं। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार, केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी, उप मुख्यमंत्री लक्ष्मण संगप्पा सावदी का नाम शामिल है। इसके अलावा बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बी. एल. संतोष से येदियुरप्पा का छत्तीस का आंकड़ा जगजाहिर है। संतोष चाहते हैं कि येदियुरप्पा की जगह वह या उनका कोई क़रीबी राज्य का मुख्यमंत्री बने।
दूसरी ओर, हाई कोर्ट ने 2019 के ऑपरेशन लोटस के मामले में येदियुरप्पा के ख़िलाफ़ जांच के आदेश दिए हैं। इस मामले में येदियुरप्पा पर आरोप है कि उन्होंने तत्कालीन राज्य सरकार को गिराने के लिए सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों को पैसे और मंत्री पद का लालच दिया था।
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