loader

क्या संसद सत्र की समाप्ति के बाद गिर जाएगी कर्नाटक सरकार?

कर्नाटक में कुमारस्वामी सरकार की विदाई के स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं। मुख्यमंत्री कुमारस्वामी और उनके पिता, पूर्व प्रधानमंत्री एच. डी. देवेगौड़ा के बयानों से यह साफ़ हो गया है कि जनता दल (सेक्युलर) यानी जेडीएस ने फ़ैसला कर लिया है कि वह कांग्रेस से गठबंधन तोड़ लेगी। देवेगौड़ा ने अपनी पार्टी के नेताओं से विधानसभा के मध्यावधि चुनाव के लिए तैयार रहने को कहा है। इतना ही नहीं, उन्होंने कांग्रेसी नेताओं के रवैये पर भी नाराज़गी ज़ाहिर की है।
ताज़ा ख़बरें
जेडीएस के संस्थापक देवेगौड़ा ने इशारों में यह भी कहा कि गठबंधन करने का सुझाव सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी और गुलाम नबी आजाद का था, जबकि वह ख़ुद इसके ख़िलाफ़ थे। उनके मुताबिक़, कांग्रेस आलाकमान के दबाव में ही गठबंधन किया गया। देवेगौड़ा ने कहा है कि वह कांग्रेस और जेडीएस के गठबंधन के पक्ष में बिल्कुल नहीं थे। लेकिन कर्नाटक के कांग्रेसी नेताओं परमेश्वर और मुनियप्पा ने हमारी पार्टी से गठबंधन करने के लिए कहा। देवेगौड़ा के मुताबिक़, कर्नाटक से ही आने वाले वरिष्ठ कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने उनसे कहा कि पार्टी ने उन्हें गठबंधन करवाने का आदेश दिया है।
मुख्यमंत्री कुमारस्वामी भी कई दिनों से कह रहे हैं कि उनके लिए सरकार चलाना मुश्किल हो रहा है। एक बार तो भरी सभा में कुमारस्वामी ने कहा कि वह गठबंधन की राजनीति का ज़हर पीने के लिए मजबूर हैं।
देवेगौड़ा और उनके बेटे कुमारस्वामी के बयानों से यह बिल्कुल साफ़ हो गया है कि कांग्रेस और जेडीएस गठबंधन टूटने की कगार पर है। महत्वपूर्ण बात यह है कि हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की क़रारी हार के बाद ही यह साफ़ हो गया था कि कुमारस्वामी सरकार अब कुछ ही दिनों की मेहमान है।
जेडीएस के नेताओं का आरोप है कि चुनाव में कांग्रेस के कई नेताओं ने जेडीएस के उम्मीदवारों के ख़िलाफ़ काम किया। इसी वजह से चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा और उनके पोते निखिल, जो मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के बेटे भी हैं, भी हार गये।
पार्टी के संस्थापक और सबसे कद्दावर नेता की हार को जेडीएस के नेता पचा नहीं पा रहे हैं। इन नेताओं का लगता है कि अगर कांग्रेस के साथ गठबंधन बना रहा तो जेडीएस की हालत और भी ख़राब हो जाएगी।
जेडीएस के कई नेताओं को लगता है कि कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धेरामय्या और दूसरे कुछ कांग्रेस नेता नहीं चाहते हैं कि मुख्यमंत्री कुमारस्वामी को सरकार के द्वारा जनहित में लिए गए फ़ैसलों का श्रेय मिले। इसी वजह से वह  कुमारस्वामी के अपनी मर्जी के हिसाब से काम करने और बड़े फ़ैसले लेने में अड़चनें डाल रहे हैं। इन सब के बीच यह बात साफ़ है कि लोकसभा चुनाव के बाद जेडीएस और कांग्रेस के बीच मतभेद चरम पर पहुँच चुके हैं।
कर्नाटक से और ख़बरें
लोकसभा चुनाव में कर्नाटक की 28 सीटों में से कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन केवल 2 सीटें ही जीत पाया था जबकि बीजेपी ने 25 सीटें जीतीं हैं। मांड्या सीट पर बीजेपी समर्थित उम्मीदवार सुमलता की जीत हुई। सुमलता ने मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के बेटे निखिल को हराया है।
सरकार गिरने को लेकर अगर बीजेपी के रुख की बात करें तो वह कुमारस्वामी सरकार के ख़ुद गिरने का इंतज़ार कर रही है। बीजेपी के आला नेता और रणनीतिकार मानते हैं कि सरकार को गिराने की कोशिश करने पर उसकी बदनामी होगी।
बीजेपी के नेताओं को लगता है कि संसद के मौजूदा सत्र के ख़त्म होने से पहले ही सरकार गिर जाएगी। अगर कर्नाटक सरकार मौजूदा संसद सत्र तक बनी रही तो बीजेपी सत्र के समापन के बाद किसी भी दिन 'ऑपेरशन लोटस' फिर से शुरू कर कांग्रेस और जेडीएस के कुछ विधायकों को अपनी ओर खींच लेगी। कुमारस्वामी सरकार को गिराने के लिए बीजेपी को सिर्फ़ 10 विधायक चाहिए, जबकि सूत्रों की मानें तो सत्ता पक्ष के 22 विधायक उसके पक्ष में आने के लिए तैयार हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार के गिर जाने के बाद बीजेपी सरकार बनाएगी या विधानसभा भंग करवा कर चुनाव करने की माँग करेगी। सूत्र बताते हैं कि बीजेपी के ज़्यादातर नेता विधानसभा भंग करवाकर चुनाव करवाने के पक्ष में हैं।
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

कर्नाटक से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें