दक्षिण में बीजेपी का कमल खिलाने वाले पार्टी के कद्दावर नेता बीएस येदियुरप्पा से क्या बीजेपी आलाकमान नाराज है? काफी समय से मिल रहे ऐसे संकेतों के बीच अब एक बार फिर ऐसा ही कुछ हुआ है।
मामला राज्यसभा चुनाव में टिकट बंटवारे का है। न्यूज़ 18 के मुताबिक़, बीजेपी की कर्नाटक इकाई ने काफ़ी मंथन के बाद 5 नेताओं का नाम आलाकमान को भेजा था। इनमें से किसी दो को टिकट मिलना था।
येदियुप्पा ने भी नेताओं की सूची को फ़ाइनल करने से पहले पार्टी की कोर कमेटी के साथ बैठक की थी और उन्हें उम्मीद थी कि आलाकमान राज्य इकाई की सिफारिशों को मानेगा। लेकिन लगता है कि आलाकमान ने इस सूची की तरफ झांका तक नहीं है।
राज्य इकाई की ओर से प्रभाकर कोरे, रमेश कट्टी, प्रकाश शेट्टी, निर्मल सुराना और प्रोफ़ेसर एम. नागराज का नाम भेजा गया था। लेकिन आलाकमान ने जिन दो नेताओं को टिकट दिया है, उनके नाम सामने आते ही येदियुरप्पा को तगड़ा झटका लगा है। बीजेपी ने जिन नेताओं को राज्यसभा का टिकट दिया है, उनके नाम एरन्ना कडाडी और अशोक गस्ती हैं।
कर्नाटक में यह चर्चा आम है कि एरन्ना और अशोक के नाम का एलान होने के पीछे बीजेपी के महासचिव (संगठन) बीएल संतोष का हाथ है। संतोष का बढ़ता सियासी क़द येदियुरप्पा के लिए मुसीबत बन रहा है।
येदियुरप्पा की हो रही उपेक्षा!
कर्नाटक के सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा कई महीनों से हो रही है कि बीजेपी आलाकमान लगातार येदियुरप्पा की उपेक्षा कर रहा है। इससे पहले पिछले साल जब राज्य के 17 जिलों में बाढ़ आई थी, तब भी राज्य सरकार को केंद्र से पूरा सहयोग नहीं मिलने की ख़बरें आई थीं। तब यह भी कहा गया था कि इस मामले में मुख्यमंत्री को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने तक की भी अनुमति नहीं मिली।
हाथ बांधने की कोशिश
कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस की सरकार गिराने से लेकर बीजेपी को फिर से सत्ता में लाने के रण में अकेले सियासी कमांडर रहे येदियुरप्पा की सरकार में बीजेपी आलाकमान ने तीन डिप्टी सीएम बना दिए थे। आलाकमान ने तभी संकेत दे दिए थे कि अब वह इस दिग्गज नेता को सियासी पिच पर खुलकर बैटिंग नहीं करने देगा।
2019 में राज्य में बीजेपी की सरकार बन जाने के बाद भी मंत्रिमंडल के विस्तार और विभागों के बंटवारे को लेकर येदियुरप्पा अपने हिसाब से सियासी गोठियां नहीं बिठा सके।
हार मानने को तैयार नहीं येदियुरप्पा
बीएस येदियुरप्पा को कर्नाटक की राजनीति में सबसे दमदार नेता माना जाता है। येदियुरप्पा ने बीजेपी में सामान्य कार्यकर्ता से लेकर मुख्यमंत्री तक का सफर तय किया है। वह बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रह चुके हैं।
दक्षिण के इस दमदार नेता ने क्षेत्रीय पार्टी कर्नाटक जन पक्ष बनाकर बीजेपी को अपनी ताक़त का अहसास कराया था और इस वजह से 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को सत्ता से बाहर होना पड़ा था।
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