राजस्थान में पैदा हुए सियासी संकट को लेकर कांग्रेस ने कई बार कहा कि बीजेपी उसकी सरकार को अस्थिर करने के प्रयासों में छह महीने से जुटी हुई है। लेकिन अब झारखंड में भी कांग्रेस ने ऐसा ही आरोप लगाया है कि बीजेपी यहां भी उसके विधायकों को प्रभावित कर राज्य सरकार को गिराने की कोशिश कर रही है। राज्य में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम), कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल मिलकर सरकार चला रहे हैं।
झारखंड प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रामेश्वर ओरांव ने दावा किया है कि बीजेपी अपने मंसूबों में सफल नहीं हो पाएगी क्योंकि कांग्रेस के सभी विधायक पार्टी के प्रति समर्पित हैं। ‘न्यू इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, ओरांव ने कहा, ‘एक बार फिर बीजेपी ने यह साबित किया है कि वह लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास नहीं करती है। अब वह राज्यों में चुनी हुई सरकारों को गिराने की कोशिश कर रही है।’
ओरांव के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए झारखंड बीजेपी के अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कहा कि कांग्रेस को अपने विधायकों पर भरोसा नहीं है और इसीलिए वह सस्ती लोकप्रियता बटोरने के लिए इस तरह के आरोप लगा रही है।
न्यूज़ वेबसाइट ‘द प्रिंट’ ने राज्य के उन विधायकों को जिन्हें प्रभावित करने की कोशिश की गई, उनसे बात की है। इन विधायकों ने बातचीत में स्वीकार किया है कि हां, उन्हें मोटी रकम ऑफ़र की गई थी, हालांकि रकम कितनी थी, इस बारे में उन्होंने कुछ नहीं कहा।
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सतर्क
राजस्थान के प्रकरण के बाद छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ख़ासी सतर्क हो गयी है और उसने अपने 15 विधायकों को संसदीय सचिव नियुक्त कर दिया है। इसके अलावा कुछ नेताओं को निकट भविष्य में सरकारी बोर्डों और आयोगों में पद देने की बात भी कही जा रही है। इन 15 विधायकों में से अधिकांश पहली बार विधानसभा पहुंचे हैं। इनमें से अधिकतर ओबीसी और दलित-आदिवासी समाज से आते हैं।
झारखंड कांग्रेस के आरोप के बाद यह बहस तेज हो गई है कि क्या कोरोना महामारी के इस संकट के दौरान भी राजनीतिक दलों के लिए सिर्फ दूसरे की सरकारों को गिराना या अपनी सरकार को बचाना ही अहम है।
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