झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को चुनाव आयोग ने नोटिस भेजा है। आयोग ने उनसे पूछा है कि उनके खिलाफ लगे आरोपों के मामले में क्यों ना उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। बता दें कि हेमंत सोरेन पर जून 2021 में खुद को खनन लाइसेंस दिए जाने का आरोप है।
झारखंड में विपक्ष ने इसे मुद्दा बनाया था और इसके बाद राज्यपाल रमेश बैंस ने इस मामले को चुनाव आयोग को भेज दिया था।
हेमंत सोरेन से कहा गया है कि वह 10 मई तक अपना जवाब आयोग के पास भेज दें।
हेमंत सोरेन पर आरोप है कि उन्होंने मुख्यमंत्री व खनन मंत्री रहते हुए 0.88 एकड़ जमीन रांची के अनगढ़ा ब्लॉक के प्लॉट नंबर 482 को खुद को आवंटित कर लिया। इसके खिलाफ बीजेपी नेता रघुवर दास व बाबूलाल मरांडी ने राज्यपाल से शिकायत की थी। हालांकि झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस ने मुख्यमंत्री का बचाव किया है।
विपक्ष ने मांग की है कि मुख्यमंत्री को अयोग्य घोषित कर दिया जाना चाहिए। विपक्ष ने इसके पीछे भारत के संविधान के अनुच्छेद 191 (e) और रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपल्स एक्ट की धारा 9ए का हवाला दिया है।
इससे पहले चुनाव आयोग ने राज्य सरकार से इस मामले में विस्तृत ब्यौरा मांगा था और राज्य के मुख्य सचिव को पत्र भेजा था। चुनाव आयोग ने खनन लाइसेंस से संबंधित दस्तावेजों के प्रमाणीकरण के अलावा लीज के नियमों और शर्तों के विवरण की मांग की थी।
अगर हेमंत सोरेन इस मामले में दोषी पाए जाते हैं तो उनकी विधानसभा सदस्यता जा सकती है। अगर ऐसा हुआ तो झारखंड में हेमंत सोरेन की जगह किसी दूसरे नेता को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठना होगा। देखना होगा कि राज्य सरकार इस संकट का सामना कैसे करती है।
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