जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में आतंकवादियों ने भारतीय जनता पार्टी के तीन कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी है, जिससे कई सवाल खड़े हो गए हैं। इससे राज्यपाल के प्रशासन पर तो सवाल उठता ही है, यह प्रश्न भी उठता है कि बीजेपी आतंकवादियों के निशाने पर क्यों हैं।
क्या हुआ?
राज्य पुलिस ने बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्या की पुष्टि करते हुए कहा है, 'कुलगाम पुलिस को वाईके पोरा में हुई आपराधिक वारदात की जानकारी मिली है, जिसमें बीजेपी के तीन कार्यकर्ताओं को गोली मार दी गई है। वरिष्ठ पुलिस अफ़सर आतंकवादी वारदात की जगह पर पहुँच चुके हैं।'
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फ़िलहाल जम्मू-कश्मीर केंद्र-शासित क्षेत्र है और लेफ्टीनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा प्रशासन के मुखिया हैं।
यह पहला मौका नही है जब जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों ने बीजेपी कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया है।
बांदीपोरा
इसके पहले जुलाई महीने में बांदीपोरा ज़िला बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष वसीम बारी, उनके पिता और भाई की हत्या कर दी गई थी। जब वे अपनी दुकान के बाहर थे तभी आतंकवादियों ने उन पर ताबड़तोड़ फ़ायरिंग कर दी थी। बारी को 10 पुलिसकर्मियों की सुरक्षा मिली हुई थी, लेकिन हमले के दौरान सुरक्षाकर्मी मौजूद नहीं थे। उन्हें बाद में निलंबित कर दिया गया था।एक नए आतंकवादी समूह 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' ने बांदीपोरा में बीजेपी कार्यकर्ताओं पर हुए हमले की ज़िम्मेदारी ली थी। पुलिस ने कहा कि यह समूह जैश, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन का मोर्चा है।
बडगाम
इसके बाद अगस्त महीने में कश्मीर के बडगाम में पार्टी के एक नेता को संदिग्ध आतंकवादियों ने गोली मार दी। बीजेपी के ओबीसी मोर्चा के बडगाम ज़िला अध्यक्ष अब्दुल हमीद नजार पर तब हमला हुआ जब वह मॉर्निंग वाक पर निकले थे। छह अगस्त को कुलगाम ज़िले में आतंकवादियों ने बीजेपी सरपंच सज्जाद अहमद खांडे की काजीगुंड में गोली मारकर हत्या कर दी थी। वह बीजेपी के कुलगाम ज़िला के उपाध्यक्ष थे। पुलिस के अनुसार जब सज्जाद अपने घर के बाहर थे तभी आतंकवादियों ने उन पर ताबड़तोड़ फ़ायरिंग कर दी थी।कुलगाम
इससे एक दिन पहले ही आतंकवादियों ने कुलगाम ज़िले के ही अखरान के बीजेपी सरपंच आरिफ़ अहमद पर हमला कर दिया था। इस हमले में वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे।इसके बाद बीजेपी के कई नेताओं ने इस्तीफ़ा दे दिया। समझा जाता है कि आतंकवादी खौफ़ का माहौल बनाना चाहते हैं और इसीलिए वे बीजेपी नेताओं को ज़्यादा निशाना बना रहे हैं।
ताज़ा हमला क्यों?
ताज़ा हमला ऐसे समय हुआ है जब लेफ्टीनेंट गवर्नर ने जम्मू-कश्मीर के भूमि-क़ानून में परिवर्तन कर ज़मीन ख़रीदने के लिए अधिवास यानी डोमिसाइल की अनिवार्यता को ख़त्म कर दिया है। अब देश के किसी हिस्से का आदमी कृषि ज़मीन को छोड़ कोई ज़मीन कश्मीर में खरीद सकता है। घाटी में इसका विरोध हुआ है।इसके अलावा राष्ट्रीय जाँच एजेन्सी (एनआईए) ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के 10 ठिकानों पर छापे मारे। उसके बाद बुधवार को दिल्ली स्थित 9 ठिकानों पर छापे मारे। इनमें से चार संस्थाएं कश्मीर में काम करने वाली हैं। ये तमाम छापे मानवाधिकार संगठनों, ग़ैसरकारी संगठनों और अख़बार पर मारे गए हैं। एनआईए का कहना है कि ये तमाम लोग टेरर फंडिंग से जुड़े हुए हैं। लेकिन कश्मीर के लोगों और नेताओं का कहना है कि विरोध की आवाज़ को कुचलने के लिए ये छापे मारे गए।
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