जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे की बहाली के लिए राज्य के 6 राजनीतिक दलों ने एकजुट होकर संवैधानिक लड़ाई लड़ने का एलान किया है। इन 6 दलों ने 'पीपल्स अलायंस फ़ॉर गुप्कर डेक्लेरेशन' का गठन इसी मक़सद से किया है।
श्रीनगर के गुप्कर इलाक़े में स्थित फ़ारूक अब्दुल्ला के घर पर हुई बैठक में पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती, पीपल्स कॉन्फ्रेंस के सज्जाद लोन, पीपल्स मूवमेंट के जावेद मीर और सीपीआईएम के मुहम्मद युसुफ़ तारीगमी भी मौजूद थे।
नैशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने इस गठबंधन का एलान करते हुए कहा कि 5 अगस्त, 2019 के पहले भारत में जम्मू-कश्मीर की जो स्थिति थी, उसे फिर से बहाल करने के लिए संघर्ष किया जाएगा।
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उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि मौजूदा स्थिति किसी सूरत में स्वीकार्य नहीं है और इसे हर हाल में उलटना होगा। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि कश्मीर समस्या के समाधान के लिए केंद्र सरकार को इससे जुड़े सभी पक्षों से बात करनी चाहिए।कांग्रेस ग़ैरहाज़िर
लेकिन इस बैठक में कांग्रेस के किसी प्रतिनिधि के मौजूद नहीं रहने से कई सवाल खड़े होते हैं। कांग्रेस की ओर से कहा गया कि प्रदेश अध्यक्ष ग़ुलाम अहमद मीर स्वास्थ्य कारणों से इसमें शिरकत नहीं कर सके। पार्टी के एक प्रवक्ता ने कहा कि डॉक्टरों ने जावेद मीर को पूरी तरह से आराम करने की सलाह दी है।इस बैठक की ओर सबकी निगाहें लगी हुई थीं और बैठक का एलान पीडीपी की महबूबा मुफ़्ती की रिहाई के अगले ही दिन कर दिया गया था।
गुप्कर घोषणा
याद दिला दें कि 4 अगस्त 2019 को गुप्कर स्थित फ़ारूक़ अब्दुल्ला के इसी घर पर इन्हीं नेताओं की बैठक हुई थी। उस बैठक के बाद एक घोषणा पत्र जारी किया गया था, जिसमें कहा गया था कि जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को बरक़रार रखा जाए। इसके अलावा राज्य को स्वायत्तता दी जाए। लेकिन इस बैठक के कुछ घंटे बाद ही घाटी में नेताओं की बड़े पैमाने पर गिरफ़्तारी शुरू हो गई और अगले ही दिन संसद में एक प्रस्ताव पारित कर जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को ख़त्म कर दिया गया।उसके एक साल बाद एक बार फिर उसी घर में उन्हीं नेताओं की बैठक हुई, जिसमें यह मांग की गई कि 5 अगस्त 2019 के पहले की राज्य की स्थिति को बहाल किया जाए। इसमें स्वायत्तता की मांग भी जोड़ी गई। इसे गुप्कर घोषणा पत्र 2 कहा गया। इस बैठक में शाह फ़ैसल नहीं थे क्योंकि उन्होंने राजनीति छोड़ने का एलान कर दिया है।
महबूबा मुफ़्ती को एक साल से अधिक समय तक जेल में रखने के बाद जब 13 अक्टूबर को उन्हें रिहा किया गया तो इन नेताओं ने एक बार फिर बैठक करने का फैसला किया। गुरुवार को वही बैठक हुई।
इस बैठक में गुप्कर घोषणा-2 को दुहराया गया और इसे हासिल करने के लिए इस घोषणा पत्र पर दस्तख़त करने वाले दलों का एक औपचारिक गठजोड़ बनाया गया।
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