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जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाए जाने, हिजाब विवाद और हलाल मीट के मामले पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि राजनीति करने के लिए देश में गलत माहौल बनाया जा रहा है और यह सिर्फ हिजाब की बात नहीं है।
नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर ने कहा, “हमसे कहा जा रहा है कि मस्जिदों में लाउडस्पीकर नहीं इस्तेमाल होंगे, अगर बाकी जगहों पर लाउडस्पीकर इस्तेमाल हो सकते हैं तो मस्जिदों में क्यों नहीं हो सकते।”
उन्होंने कहा कि हमारे मजहब में लिखा है कि हमें हलाल मीट खाना है तो आप इस पर क्यों रोक लगा रहे हैं।
बता दें कि 2 महीने पहले कर्नाटक से शुरू हुआ हिजाब विवाद का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था। हाल ही में महाराष्ट्र में मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने की मांग ने भी तूल पकड़ा है। इसके बाद कई जगहों पर लाउडस्पीकर लगाकर हनुमान चालीसा पढ़ी गई है।
इस दौरान उत्तर प्रदेश में कई जगहों पर सभी धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकरों को पूरी तरह हटाया जा रहा है। साथ ही हलाल मीट पर प्रतिबंध लगाने की मांग भी उठी है।
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि मंदिरों और गुरुद्वारों में भी माइक लगते हैं लेकिन कुछ लोगों को सिर्फ हमारा मजहब खटकता है। उन्होंने कहा कि लोगों के बीच नफरत डाली जा रही है।
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यह वह हिंदुस्तान नहीं है जिसके साथ जम्मू-कश्मीर ने समझौता किया था। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर ने उस हिंदुस्तान के साथ समझौता किया था जिसमें हर मजहब को बराबर के नजरिए से देखा जाएगा और हमें यह नहीं कहा गया था कि एक मजहब को ज्यादा अहमियत दी जाएगी और बाकी को दबाया जाएगा।
उन्होंने बेहद कड़े अंदाज में कहा कि अगर हमें यह पता होता तो शायद हमारा फैसला कुछ और होता। उन्होंने कहा कि हम भाईचारे की बात करते हैं और हमारा मुकाबला उन लोगों के साथ है जो इस भाईचारे को तोड़ना चाहते हैं।
इस सवाल के जवाब में कि क्या चुनाव में गुपकार गठबंधन मिलकर चुनाव लड़ेगा, उमर ने कहा कि गुपकार गठबंधन को मिलकर ही चुनाव लड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें बीजेपी और उनकी बी और सी टीमों को वोटों के बंटवारे की इजाजत नहीं देनी चाहिए।
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों के परिसीमन की प्रक्रिया चल रही है और ऐसी उम्मीद है कि वहां इस साल के अंत या अगले साल की शुरुआत में विधानसभा के चुनाव हो सकते हैं।
जम्मू-कश्मीर में बीजेपी इस बार अपने दम पर सरकार बनाना चाहती है जबकि विपक्षी दल भी गुपकार गठबंधन के बैनर तले संयुक्त रूप से मैदान में उतर सकते हैं। ऐसा हुआ तो राज्य में जोरदार चुनावी मुकाबला देखने को मिलेगा।
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