कश्मीर में बीते कुछ दिनों में जिस तरह प्रवासी मजदूरों की हत्या हुई है, उसके बाद अफ़वाह फैलाकर माहौल बिगाड़ने वाले शरारती तत्व भी सक्रिय हो गए हैं। रविवार को इसी तरह की अफ़वाह कश्मीर में फैला दी गई कि प्रवासी मजदूरों को सेना और पुलिस के कैंपों में शिफ़्ट किया जा रहा है।
कहा गया कि इसे लेकर एडवाइजरी जारी की गई है। लेकिन जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इसे पूरी तरह झूठ बताया है।
एडवाइजरी में कहा गया था कि कश्मीर में काम करने वाले सभी प्रवासी मजदूरों को जिलों के पुलिस अफ़सर तत्काल प्रभाव से उनके आसपास के सेना और पुलिस के कैंप में शिफ़्ट करने जा रहे हैं।
कहा गया था कि यह एडवाइजरी कश्मीर पुलिस के आईजी की ओर से जारी की गई है। लेकिन जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हालात साफ करते हुए अपने ट्विटर हैंडल पर बताया कि यह पूरी तरह झूठ है।
11 लोगों की हत्या
बताना होगा कि बीते एक हफ़्ते में आतंकवादियों ने कश्मीर में 11 लोगों को मौत के घाट उतार दिया है। रविवार को बिहार के रहने वाले दो मजदूरों की कुलगाम में गोली मारकर हत्या कर दी गई। शनिवार को भी बिहार के रहने वाले एक फेरीवाले और उत्तर प्रदेश के एक मजदूर की हत्या कर दी गई थी।
इससे पहले श्रीनगर में माखन लाल बिंदरू की हत्या के दो दिन बाद ही आतंकवादियों ने दो शिक्षकों की हत्या कर दी थी। बिहार के वीरेंद्र पासवान की भी श्रीनगर के लाल बाज़ार में हत्या कर दी गई थी।
पासवान यहां रेहड़ी लगाते थे। इन वारदातों के पीछे आतंकवादी संगठन 'द रेजिस्टेन्स फ़ोर्स' का हाथ बताया जा रहा है।
सेना-आतंकवादियों के बीच मुठभेड़
इन घटनाओं के बीच ही जम्मू कश्मीर में बीते कुछ दिनों में कई बार सेना और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ हो चुकी है। पुंछ में कुछ दिन पहले ही दो जवान शहीद हो गए थे। इससे पहले बीते सोमवार को एक जेसीओ और चार अन्य सैनिक शहीद हो गए थे। एक हफ़्ते के भीतर ही सात जवान शहीद हो चुके हैं।
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