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कश्मीर के शोपियाँ में जम्मू के राजौरी के तीन मज़दूरों के मारे जाने के डेढ़ साल बाद सेना ने अपने एक अधिकारी के ख़िलाफ़ कोर्ट-मार्शल शुरू किया है। शोपियाँ के अमशीपोरा गांव में गोलीबारी के बाद यह दावा किया गया था गोलीबारी में तीन आतंकवादी मारे गए। लेकिन इस मुठभेड़ पर विवाद तब शुरू हो गया था जब तीनों युवकों के परिजनों और ग्रामीणों ने फर्जी मुठभेड़ का आरोप लगाया था। बाद में सेना ने इस गोलीबारी में शामिल रहे जवानों को शक्तियों का दुरुपयोग करने का दोषी पाया था।
विवादास्पद मुठभेड़ 18 जुलाई 2020 को हुई थी। परिवार वालों ने मारे गए तीनों लोगों की पहचान 17 वर्षीय इबरार, 25 वर्षीय इम्तियाज़ और 20 वर्षीय अबरार अहमद के रूप में की। परिजनों का कहना था कि तीनों युवक चचेरे भाई थे और राजौरी क्षेत्र के रहने वाले थे। उनका कहना था कि तीनों मज़दूरी करते थे और वे पुंच के राजौरी क्षेत्र के धार सकरी गाँव से शोपियाँ क्षेत्र में गये थे।
मुठभेड़ से एक दिन पहले यानी 17 जुलाई को ही उनके ग़ायब होने की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। चूँकि 18 जुलाई की वह कथित मुठभेड़ शोपियाँ क्षेत्र में हुई थी इसलिए उस क्षेत्र के लोग तीनों युवकों को पहचान नहीं सके थे। तब सैनिकों की ओर से कहा गया था कि वे अज्ञात आतंकवादी थे। लेकिन बाद में जैसे ही तीनों की तसवीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई उनके परिजनों ने तीनों की पहचान की। इस मामले में शोर मचने पर पुलिस और सेना दोनों ने जाँच शुरू की थी।
इस मामले में सेना ने अब 62 राष्ट्रीय राइफल्स के कैप्टन भूपेंद्र सिंह के ख़िलाफ़ एक सामान्य कोर्ट-मार्शल शुरू किया है। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार रक्षा प्रवक्ता ने एक संक्षिप्त बयान में कहा, 'कोर्ट ऑफ इंक्वायरी और साक्ष्य के सारांश से अनुशासनात्मक कार्यवाही की आवश्यकता का संकेत मिलने के बाद सेना ने जुलाई 2020 में दक्षिण कश्मीर के ऑप अमशीपुरा, शोपियाँ में एक कैप्टन के ख़िलाफ़ सामान्य कोर्ट-मार्शल कार्यवाही शुरू की है।'
रिपोर्ट के अनुसार रक्षा प्रवक्ता ने कहा, 'भारतीय सेना संचालन के नैतिक आचरण के लिए प्रतिबद्ध है। मामले पर आगे के अपडेट इस तरह से साझा किए जाएँगे ताकि क़ानून की उचित प्रक्रिया पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।'
पुलिस ने 'फर्जी मुठभेड़' में चार्जशीट में कैप्टन भूपेंद्र सिंह उर्फ मेजर बशीर खान पर अपहरण और हत्या का भी आरोप लगाया था। पुलिस चार्जशीट में आगे उल्लेख किया गया था कि कैप्टन के अपराध का हथियार पुलिस ने बरामद कर लिया है।
इस मामले में सितंबर 2020 में सेना की कोर्ट ऑफ़ इन्क्वायरी ने पुष्टि की थी कि अमशीपोरा गांव में हुई गोलीबारी में मारे गए तीन लोग वास्तव में राजौरी के मज़दूर थे। डीएनए परीक्षण के परिणामों से उनकी पहचान की पुष्टि हुई।
तब रक्षा विभाग के प्रवक्ता ने कहा था, ‘सेना के अधिकारियों द्वारा ऑपरेशन अमशीपोरा को लेकर करवाई गई जांच पूरी हो गई है। जांच में प्रथम दृष्टया कुछ सबूत मिले हैं जिनसे पता चलता है कि इस ऑपरेशन के दौरान अफ़स्पा 1990 के तहत मिली ताक़तों का दुरुपयोग किया गया।’
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