जम्मू-कश्मीर में आम नागरिकों को निशाना बनाए जाने का सिलसिला थम नहीं रहा है। आतंकवादियों के निशाने पर राज्य के बाहर से आए लोग भी हैं।
संदिग्ध आतंकवादियों ने शनिवार को बिहार के बांका से आए एक गोल गप्पा विक्रेता और उत्तर प्रदेश के एक बढ़ई को गोली मार दी।
गोल गप्पा विक्रेता अरविंद कुमार साह को श्रीनगर तो बढ़ई सगीर अहमद को पुलावामा में मार दिया गया।
निंदा
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा, "आंतकवादियों ने श्रीनगर और पुलवामा में ग़ैर-स्थानीय लोगों की हत्या कर दी है। अरविंद कुमार साह की मौत हो गई है और सगीर अहमद घायल है। पूरे इलाक़े की नाकेबंदी कर दी गई है और छापेमारी की जा रही है।"
#NonLocal labourer Shri Sagir Ahmad of Saharanpur, UP who was #critically injured in a #terror attack in Pulwama, also #succumbed to his injuries. Search operations are in progress. Further details shall follow. @JmuKmrPolice https://t.co/5q5TUQbRnl
— Kashmir Zone Police (@KashmirPolice) October 16, 2021
पिछले हफ़्ते बिहार के भागलपुर से आए एक मजदूर समेत चार हिन्दुओं को गोली मार दी गई थी।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर आम नागरिकों को निशाना बनाने की निंदा की है। उन्होंने कहा, "श्रीनगर में एक आतंकवादी हमले में अरविंद कुमार साह की हत्या की ज़ोरदार शब्दों में निंदा करता हूं। एक आम नागरिक को एक बार फिर निशाना बनाया गया है। अरविंद कुमार श्रीनगर सिर्फ रोज़ी-रोटी की तलाश में आए थे और उनकी हत्या घृणित काम है।"
जम्मू-कश्मीर पीपल्स कॉन्फ्रेंस के नेता सज्ज़ाद लोन ने ट्वीट किया, "यह शुद्ध आतंक है। एक बार फिर एक ग़ैर-स्थानीय वेंडर को निशाना बनाया गया है। कितना शर्मनाक है!"
क्या कहना है पुलिस का?
जम्मू-कश्मीर के पुलिस आईजी ने एनडीटीवी से कहा, "नागरिकों की हत्या के बाद हुई मुठभेड़ों में 13 आतंकवादी मारे गए। श्रीनगर में बीते 24 घंटों में पाँच में से तीन आतंकवादियों को मार गिराया है।}
चुन कर बनाया निशाना
शनिवार को हुई ये हत्याएं आतंकवादियों की सोची समझी रणनीति के तहत चुन कर निशाना बनाने की रणनीति का खुलासा करती हैं।
इसके पहले पिछले हफ्ते अलग-अलग वारदातों में सात नागरिकों की हत्या संदिग्ध आतंकवादियों ने कर दी थी। उनमें श्रीनगर के मशहूर दवा विक्रेता माखन लाल बिंदरू भी शामिल थे। उनके अलावा एक हिन्दू और एक सिख शिक्षक को निशाना बनाया गया था। इसके अलावा बिहार के भागलपुर से आए एक आदमी और एक कश्मीरी मुसलमान को भी निशाना बनाया गया था।
क्या है टीआरएफ?
पुलिस का कहना है कि ये हत्याएं 'द रेजिस्टेन्स फ़ोर्स' यानी टीआरएफ़ ने की है। पाकिस्तान ने बीते साल कुछ आतंकवादी गुटों के लोगों को मिला कर इसका गठन किया था। इसका मकसद यह दिखाना है कि ये स्थानीय लोग हैं, जो अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं और उनका पाकिस्तान से कोई संबंध नहीं है।
आम नागिरकों को निशाना बनाए जाने के बाद कश्मीर के लोग खास कर हिन्दू समुदाय के लोग आतंक के साए में जी रहे हैं। कुछ लोगों ने अपना घर-बार छोड़ कर जम्मू का रुख किया ताकि वे वहां से शेष भारत में कहीं चले जाएं।
लोगों का कहना है कि यह 1990 के दशक जैसी स्थिति बनाने की कोशिश है जब बड़ी तादाद में कश्मीरी हिन्दुओं घर छोड़ कर पलायन कर गए थे।
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