जहाँ तेजी होती है वहाँ मंदी भी आती है। यह अर्थव्यवस्था का एक चक्र है जो शाश्वत है। लेकिन ऐसा बहुत कम बार ही हुआ है कि सारी दुनिया मंदी की चपेट में आ गई हो। पहले तो कोरोना वायरस ने सारी दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं को चोट पहुँचाई और फिर महंगाई का ऐसा दौर आया कि अमेरिका जैसा देश भी हिल गया। वहाँ महंगाई की दर बढ़कर 9 फ़ीसदी पर जा पहुँची थी। मंदी के चिन्ह वहां साफ दिखने लगे हैं।
महंगाई और मंदी की चपेट में सारी दुनिया, क्या होगा भारत का
- अर्थतंत्र
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- 11 Oct, 2022

अमेरिका, ब्रिटेन, चीन सहित दुनिया भर में आर्थिक हालात बेहद ख़राब होने के संकेत मिल रहे हैं तो क्या भारत इससे बच बाएगा? यदि भारत को इससे मुकाबला करना है तो इसे क्या करने की ज़रूरत है?
दूसरी ओर चीन भी मंदी का शिकार हो गया। उसकी अर्थव्यवस्था 2021 में 17.46 खरब डॉलर की थी और यह 8 फ़ीसदी से भी ज़्यादा की दर से बढ़ रही थी। लेकिन अचानक ही उसका ग्रोथ मॉडल दरकने लगा और इसके गिरकर 2.8 फीसदी पर जा पहुँचने की ख़बरें आ रही हैं। महंगाई बढ़ने की भी ख़बरें आ रही हैं। यूरोप में भी मंदी दिखाई दे रही है और आसियान देश भी इसके जाल में फँसते जा रहे हैं। यूरोप की चार बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ फ्रांस, जर्मनी, इटली और स्पेन सर्दियों के साथ-साथ मंदी भी झेलेंगे। इतना ही नहीं, वहां महंगाई की जबर्दस्त मार है।