पेमेंट रेग्युलेटर को लेकर है विवाद
विरल आचार्य ने केंद्रीय बैंक को नज़रअंदाज़ कर अलग से पेमेंट रेग्युलेटर (नियामक) संस्था नियुक्त करने की केंद्र सरकार की कोशिशों पर भी हमला बोला है। ग़ौरतलब है कि ऐसी आशंका है कि केंद्र सरकार देश के पेमेंट सिस्टम के लिए अलग पेमेंट रेग्युलेटर (नियामक) संस्था बनाने की संभावना पर विचार कर रही है। इस बात को लेकर ही सरकार और आरबीआई में तनातनी चल रही है। फ़िलहाल आरबीआई ही देश के पेमेंट सिस्टम का काम देखता है। इसके अलावा आरबीआई की बैलेंस शीट को लेकर भी केंद्र सरकार और आरबीआई में विवाद है।आचार्य ने कहा है कि जो सरकार केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता का सम्मान नहीं करती, उसे आर्थिक मोर्चे पर नुक़सान उठाना पड़ता है। आचार्य ने अपने भाषण में अर्जेंटीना में वहाँ की सरकार और केंद्रीय बैंक के मतभेद के चलते पैदा हुए संवैधानिक संकट का भी ज़िक्र किया। आचार्य ने साफ़ तौर पर कहा कि आरबीआई को ज़्यादा अधिकार दिए जाने चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि वह अपनी बात गवर्नर उर्जित पटेल की ही सलाह पर ही रख रहे हैं।
आचार्य ने कहा कि सरकार चुनाव को ध्यान में रखते हुए टी-20 मैच की सोच के साथ फ़ैसले लेती है, जबकि आरबीआई टेस्ट मैच खेलता है और भविष्य की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए फ़ैसला लेता है। नोटबंदी, पीएनबी बैंक घोटाले के बाद से ही सरकार और आरबीआई के रिश्ते ठीक नहीं रहे हैं। बता दें कि कुछ समय पहले आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल ने पीएनबी में हुए बैंक घोटाले को लेकर दुख, ग़ुस्सा और अफ़सोस ज़ाहिर किया था और इसे देश के भविष्य के साथ लूट बताया था।
आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने भी कहा था कि उन्हें नोटबंदी के क़दम की कोई जानकारी नहीं थी और वह कभी भी इसके पक्ष में नहीं रहे। कुल मिला कर विरल आचार्य के बयान के बाद यह साफ़ है कि सरकार की ओर से उसके कामकाज में दख़ल देने के कारण आरबीआई नाराज़ है।
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