बाज़ार में भगदड़... काला सोमवार... दलाल स्ट्रीट बनी हलाल स्ट्रीट... सेंसेक्स और निफ्टी लहूलुहान - यह सारी बातें सोमवार के बाज़ार पर चिपकाई जा सकती हैं। सुबह बाज़ार खुलने के कुछ ही मिनटों के भीतर निवेशकों के क़रीब सवा पाँच लाख करोड़ रुपए हवा हो चुके थे।

आख़िर क्या हुआ कि सोमवार सुबह बाज़ार खुलते ही दलाल स्ट्रीट पर खूनखराबा दिखा व शेयरों की कीमतें बुरी तरह टूटीं?
दोपहर होते होते यह आँकड़ा नौ लाख करोड़ पर पहुँच गया और बाज़ार बंद होने तक का अनुमान है क़रीब 6.81 लाख करोड़ रुपए का। यह सारी रक़म न किसी की जेब से निकली न किसी की जेब में गई, मगर इसे सांकेतिक या नोशनल नुक़सान कहा जाता है।
यानी शुक्रवार को बाज़ार बंद होते वक्त भारत के बाज़ार में सारे शेयरों की कुल मिलाकर जो क़ीमत थी, उसके मुकाबले सोमवार की सुबह दोपहर और शाम को इन शेयरों के दाम गिरने की वजह से उसमें कितनी कमी आई, यह उसका आँकड़ा था।
लेकिन रात गई तो बात गई। मंगलवार की सुबह फिर तेज़ी के साथ हुई, यानी वही पौने सात लाख करोड़ रुपए का घाटा कहाँ गया, पता नहीं।