बीस साल में पहली बार इस साल प्रत्यक्ष कर यानी कॉरपोरेट टैक्स और आय कर पिछले साल से कम होगी। कर विभाग के कई आला अफ़सरों ने समाचार एजेन्सी रॉयटर्स को यह जानकारी दी है। इसकी मुख्य वजह आर्थिक विकास में गिरावट है, क्योंकि कर तो कारोबार और आमदनी पर ही लिया जाता है। कम कर यानी कम कारोबार यानी कम आर्थिक विकास।
केंद्र सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष में 13.30 लाख करोड़ रुपए के प्रत्यक्ष कर उगाही का लक्ष्य रखा था। ऐसा होता तो यह पिछले साल की कर उगाही से 17 प्रतिशत ज़्यादा होता।
पिछले साल से कम उगाही
कर विभाग 23 जनवरी तक 7.30 लाख करोड़ रुपए के कर ही वसूल सका है। यह लक्ष्य से छह लाख करोड़ रुपए तो कम है ही, पिछले साल की कर उगाही से भी 5.5 प्रतिशत कम है।पर्यवेक्षकों का कहना है कि माँग में कमी की वजह से व्यापार जगत परेशान है। इसकी वजह से कंपनियों को निवेश कम करना पड़ रहा है और छंटनी करनी पड़ रही है। इससे कर उगाही कम हुई है। सरकार को सिर्फ़ 5 प्रतिशत विकास की उम्मीद है जो 11 साल में सबसे कम है।
कर विभाग के 8 आला अफ़सरों ने रॉयटर्स से कहा कि उनकी तमाम कोशिशों के बावजूद इस साल कर उगाही पिछले साल से कम होगी, यह माना जा रहा है। पिछले साल सरकार को 11.50 लाख करोड़ रुपए बतौर कर मिले थे।
सरकार के लिए चिंता की बात
पिछले कुछ महीनों से डायरेक्ट टैक्स यानी प्रत्यक्ष कर और इनडायरेक्ट टैक्स यानी अप्रत्यक्ष कर वसूली में काफ़ी कमी आई है और यह केंद्र व राज्य सरकारों के लिए बड़ी चिंता की बात है। कर उगाही का यह टारगेट डायरेक्ट टैक्स यानी लोगों की आय पर लगने वाला कर और इनडायरेक्ट टैक्स यानी सामान ख़रीदने या सेवाओं पर लगने वाला कर दोनों के लिए है।केंद्र की जीएसटी उगाही अप्रैल-नवंबर में लक्ष्य से 40 फ़ीसदी कम हुआ है और यह सिर्फ़ 3.28 लाख करोड़ रुपये ही रहा है जबकि टारगेट 5.26 लाख करोड़ का था। डायरेक्ट टैक्स की वसूली तो 13.35 लाख करोड़ के लक्ष्य का 41.7 फ़ीसदी यानी 5.56 लाख करोड़ रुपये ही हो पाई।
अर्थव्यवस्था की हालत ख़राब है, बेरोज़गारी बेतहाशा बढ़ी है, बाज़ार में उत्पाद की माँग कम हुई है, लोगों की आय भी कम हुई है और इसी बीच कर वसूली में काफ़ी कमी आ गई है, लेकिन सरकार ने पाँच साल में अर्थव्यवस्था को दोगुना कर पाँच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की घोषणा कर दी है। लेकिन इस बीच कर उगाही कम होने से सरकार के लिए बड़ी चुनौती सामने आ गई है।
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