अडाणी पावर और डीबी पावर
के बीच हुआ 7,017 करोड़ रुपये के
अधिग्रहण की योजना बुधवार को खत्म हो गई। तय समयसीमा में इस सौदे को पूरा नहीं
किया जा सका।
अडानी समूह के लिए यह बड़ा
झटका ऐसे समय में लगा है जबकि वह हिंडनबर्ग रिपोर्ट के मामले में पहले से ही
सवालों के घेरे में है। अडानी के समूह ने 24 जनवरी को अमेरिका स्थित हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट के
बाद अपनी कंपनियों के शेयरों में भारी बिकवाली के मद्देनजर पूंजीगत व्यय योजनाओं की
समीक्षा की है।
अडानी पावर ने 18 अगस्त, 2022 को डीबी पावर की खरीद समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसको सौदे
को 31 अक्टूबर, 2022 तक सौदे को पूरा करने की योजना थी। लेकिन सौदे
को पूरा करने की समय सीमा को बार-बार बढ़ाया जाता रहा। डीबी पावर के पास छत्तीसगढ़
के जांजगीर चंपा में 1,200 मेगावाट का कोयला
आधारित बिजली संयंत्र है। कर्जों सहित उसकी कुल वैल्यू 7,017 करोड़ रुपये आंकी गई थी।
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अदाणी पावर द्वारा डीबी
पावर के अधिग्रहण के सौदे को मंजूरी 29 सितंबर, 2022 को ही दे दी गई थी
मंजूरी के बाद भी लेनदे की समय सीमा को चार बार बढ़ाया गया, इस सौदे को पूरा करने
के लिए अंतिम तिथि 15 फरवरी, 2023 तय की गई थी। अडाणी पावर ने बुधवार
को शेयर बाजार को सूचित किया कि डीबी पावर अधिग्रहण को पूरा करने की अंतिम तिथि
समाप्त हो गई है।
सौदे का रद्द होना अडानी
समूह के लिए एक झटका है जो आक्रामक रूप से देश भर में अपनी उपस्थिति का विस्तार कर
रहा है। डीबी पावर के साथ सौदा भारत के सबसे बड़े निजी क्षेत्र के थर्मल पावर के
रूप में अडानी की स्थिति को और मजबूती देता।
2022 में डीबी पावर के
अधिग्रहण का समझौता एनर्जी के क्षेत्र में एसबी एनर्जी
इंडिया के समझौते के बाद अडानी समूह का दूसरा सबसे बड़ा विलय और अधिग्रहण था। इसके लिए समूह ने 2021 में लगभग 26,000 करोड़ रुपये खर्च किए थे।
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पांच राज्यों में सात
थर्मल परिसंपत्तियों में 13.6 गीगावॉट क्षमता
और 40 मेगावॉट सौर संपत्ति के
साथ अडानी पावर पर 30 सितंबर,
2022 तक 36,031 करोड़ रुपये का कर्ज था।
डीबी पावर हिंडनबर्ग
रिपोर्ट के बाद दूसरा सौदा है जिसे समूह को रद्द करना पड़ा। अडानी एंटरप्राइजेज के
लिए 20,000 करोड़ रुपये के मेगा
फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफरिंग (एफपीओ) को सफलतापूर्वक बंद करने के एक दिन बाद 1 फरवरी को कंपनी के शेयर की कीमत में गिरावट ने
समूह को प्रस्ताव वापस लेने के लिए मजबूर कर दिया था।
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