दिल्ली पुलिस को शनिवार को अपनी ही खबर का फैक्ट चेक करने के लिए मजबूर होना पड़ा। उसने अदालत के आदेश का इंतजार किए बिना घोषणा कर दी कि फैक्ट चेकर और पत्रकार मोहम्मद जुबैर को जमानत नहीं मिली और उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया दिया गया है। अदालत का फैसला शाम 4 बजे के बाद आना था लेकिन दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने पत्रकारों को खबर लीक कर विवाद खड़ा कर दिया।
ज़ुबैर के वकील सौतिक बनर्जी ने मीडिया से कहा, यह बेहद निंदनीय है और देश में कानून के शासन की बात होती है लेकिन जज के फैसला सुनाने से पहले ही पुलिस मीडिया को फैसला लीक कर चुकी होती है।
फैक्ट-चेकिंग साइट ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक, मोहम्मद जुबैर, जिन्हें चार साल पुराने एक ट्वीट पर गिरफ्तार किया गया था, पिछले पांच दिनों से पुलिस हिरासत में हैं। उन्हें दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया जहां उनकी जमानत मांगी गई। दलीलें पूरी हो गईं लेकिन जज ने तब तक कोई आदेश नहीं दिया था, लेकिन दिल्ली पुलिस के डीसीपी केपीएस मल्होत्रा ने पत्रकारों को मैसेज भेजा कि कोर्ट ने जुबैर की जमानत से इनकार कर दिया गया है और जुबैर को 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। डीसीपी केपीएस मल्होत्रा ने बाद में सफाई में कहा कि उन्होंने एक सहयोगी से इस बारे में गलत सुना था।
जुबैर के वकील सौतिक बनर्जी ने कहा, केपीएस मल्होत्रा कैसे जानते हैं कि आदेश क्या है, यह तो मुझे भी नहीं, जबकि मैं जुबैर का वकील है। दिल्ली पुलिस की यह हरकत आत्मनिरीक्षण की मांग करती है।
मोहम्मद जुबैर को 27 जून को गिरफ्तार किया गया था और शुरू में उसी दिन एक ड्यूटी मजिस्ट्रेट द्वारा एक दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया था। उन्होंने जमानत के लिए दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसने पुलिस से जवाब मांगते हुए नोटिस जारी किया लेकिन जमानत याचिका पर तुरंत फैसला नहीं किया।
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