चीनी कंपनी ज़ेनहुआ को लेकर हर दिए नए खुलासे हो रहे हैं। अंग्रेजी अख़बार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के हवाले से अब तक हमने जाना कि भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, चीफ़ ऑफ़ डिफ़ेंस स्टाफ़ सहित कई मुख्यमंत्रियों, खुसूसी अधिकारियों की जासूसी की जा रही है।
इसके अलावा ज़ेनहुआ द्वारा बनाए गए ओवरसीज की इनफ़ॉर्मेशन डाटाबेस (ओकेआईडीबी) की नज़र भारत के कई वर्तमान व पूर्व न्यायाधीशों और अर्थव्यवस्था से जुड़े स्टार्ट अप्स पर भी है। अब इस अंग्रेजी अख़बार ने एक और बड़ा खुलासा किया है।
अख़बार ने कहा है कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के आला ब्यूरोक्रेट्स, अहम मंत्रालयों में तैनात आईएएस अफ़सर, राज्यों के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) भी ज़ेनहुआ के ओकेआईडीबी की नज़र में हैं। ऐसे नौकरशाहों की संख्या कम से कम 375 बताई गई है। इनमें से ज़्यादातर लोग अभी नौकरी में हैं और कुछ रिटायर हो चुके हैं। अख़बार के मुताबिक़ ज़ेनहुआ भारत के 10 हज़ार ख़ुसूसी लोगों की जासूसी कर रही है।
इन ताज़ा लोगों की सूची में कम से कम 6 नौकरशाह पीएमओ या ऐसे मंत्रालयों के हैं, जिन्हें सीधे तौर पर प्रधानमंत्री देखते हैं। कम से कम 23 मुख्य सचिव और 15 डीजीपी को भी यह चीनी कंपनी ट्रैक कर रही है। अख़बार के मुताबिक़, सूचना आयुक्त और मुख्य चुनाव अधिकारी, जो राजनीतिक दलों और उनके उम्मीदवारों के चुनावी ख़र्च का हिसाब रखते हैं, वे भी ज़ेनहुआ के निशाने पर हैं।
राज्य और केंद्र सरकार के अहम विभागों में काम कर रहे नौकरशाहों को मॉनीटर किया जा रहा है। ये नौकरशाह वित्त, क़ानून-व्यवस्था, शहरी विकास सहित कई आला विभागों में तैनात हैं।
पीएमओ में काम कर ऐसे नौकरशाहों के नामों का खुलासा करते हुए अख़बार ने लिखा है कि पीएमओ में सलाहकार अमरजीत सिन्हा, पीएम की आर्थिक परिषद में संयुक्त सचिव सुमिता मिश्रा और पीएमओ में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह के निजी सचिव आशीष कुमार को मॉनीटर किया जा रहा है।
इसके अलावा शिव मीणा- सीएमडी, आवास और शहरी विकास निगम लिमिटेड (हुडको), राजेश अग्रवाल- अतिरिक्त सचिव और वित्तीय सलाहकार, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव और वित्तीय सलाहकार धर्मेंद्र गंगवार का नाम शामिल है।
ओकेआईडीबी की नज़र केंद्रीय सतर्कता आयोग में अतिरिक्त सचिव अर्चना वर्मा, गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी के निजी सचिव टी. श्रीकांत, गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव (विदेशी) अनिल मलिक, भारत पेट्रोलियम के सीईओ डी. राजकुमार, गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव (पुलिस आधुनिकीकरण) विवेक भारद्वाज सहित कई अन्य अहम अफ़सरों पर भी है।
गुजरात के पूर्व डीजीपी पीपी पांडे और केरल के पूर्व डीजीपी सिबी मैथ्यूज़ पर भी ओकेआईडीबी नज़र रख रही है। पीपी पांडे का नाम इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ मामले में सामने आया था, हालांकि अब वे इससे मुक्त हो गए हैं।
इस विषय पर देखिए, वरिष्ठ पत्रकारों की चर्चा।
यूपी-बिहार पर भी नज़र
ज़ेनहुआ के डाटाबेस में दक्षिणी कश्मीर के डीआईजी अतुल गोयल, उत्तर प्रदेश के आईजी विजय भूषण और महानिदेशक (विशेष पूछताछ) चंद्र प्रकाश का भी नाम है। इनमें से अतुल गोयल ने आतंकवादियों के साथ जा रहे पूर्व डीएसपी दविंदर सिंह को पकड़ा था जबकि विजय भूषण मुज़फ्फ़रनगर दंगों के दौरान शामली जिले के एसपी रहे थे।
अख़बार कहता है कि ज़ेनहुआ के डेटाबेस में तेमजेन टॉय- मुख्य सचिव, नागालैंड, कर्नाटक के सीएम बीएस येदियुरप्पा के अतिरिक्त मुख्य सचिव पी. रवि कुमार, उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश कुमार अवस्थी और राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट में राज्य के प्रतिनिधि, प्रधान सचिव (वित्त), बिहार और सीएम नीतीश कुमार के पूर्व सचिव एस. सिद्धार्थ का भी नाम है।
पूर्व नौकरशाहों को लेकर अख़बार ने खुलासा किया है कि इनमें पूर्व कोयला सचिव सुमन्था चौधरी, पूर्व अध्यक्ष, एनएचएआई युधवीर मलिक, सीबीईसी की पूर्व सदस्य लिपिका रॉय चौधरी और रसायन और पेट्रोकेमिकल्स के पूर्व सचिव सुरजीत चौधरी का भी नाम है।
ड्रैगन आख़िर ये सब क्यों कर रहा है, उसे भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, अहम विभागों के आला अफ़सरों, न्यायपालिका से जुड़े लोगों या भारतीय स्टार्ट अप्स की जानकारी से क्या हासिल होगा। जानकार इसे 'हाइब्रिड वारफेयर' बताते हैं और इसका मक़सद किसी देश से युद्ध किए बिना या बिना सैनिकों का इस्तेमाल किए उस पर अपना दबदबा कायम करना बताया जाता है। \
ज़ेनहुआ के पास 24 लाख लोगों का डेटा
ब्रिटेन से छपने वाले अख़बार 'द गार्जियन' ने एक ताज़ा ख़बर में कहा है कि चीनी कंपनी ज़ेनहुआ डेटा इनफ़ॉर्मेशन लिमिटेड के पास दुनिया के 24 लाख लोगों की खुफ़िया जानकारियां हैं। इनमें भारत के 10 हज़ार लोगों के अलावा ऑस्ट्रेलिया के 35 हज़ार लोगों की जानकारियां भी शामिल हैं।
अख़बार के मुताबिक़, ऑस्ट्रेलिया के कैनबरा स्थित इंटरनेट 2.0 नामक साइबर कंसलटेन्सी कंपनी ने कहा है कि उसने ज़ेनहुआ के लीक हुए डेटाबेस में से 2.50 लाख लोगों के डेटा निकाल लिए हैं। इनमें 52 हज़ार अमेरिकी, 35 हज़ार ऑस्ट्रेलियाई और 10 हज़ार ब्रिटिश हैं।
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