राष्ट्रवाद की राजनीति करने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने राष्ट्रगान को कभी मन से स्वीकार नहीं किया और उसे खारिज करने के लिए हमेशा ही 'वंदे मातरम बनाम जन गण मन' की बहस खड़ी की। संघ साफ़ तौर पर यह कहता आया है कि राष्ट्रगान का असली हक़दार तो वंदे मातरम ही है।