जैसे ही राहुल-सोनिया ने अपने तरकश से प्रियंका गाँधी नामक तीर निकाला, भारतीय जनता पार्टी के नेताओं और प्रवक्ताओं ने एक बार फिर कांग्रेस पर एक वंश के प्रभुत्व पर हमला बोला और इस प्रकरण को उसकी ताज़ा मिसाल की तरह पेश करना शुरू कर दिया। इसमें कोई शक नहीं कि किसी भी लोकतंत्र में परिवारवाद या वंशवाद की कोई जगह नहीं होनी चाहिए और भारतीय लोकतंत्र में कांग्रेस पार्टी को अपनी इस विकृति के लिए ठीक ही आड़े हाथों लिया जाता है। मैं भी नेहरू-गाँधी परिवार के कांग्रेस पर वंशानुगत अधिपत्य और उसके ज़रिये इस देश पर उसके हुकूमत करने के जन्मसिद्ध अधिकार सरीखी दावेदारी का कड़ा आलोचक हूँ। लेकिन जब भाजपा इस प्रवृत्ति की आलोचना करती है तो उस हजम करना मेरे लिए मुश्किल हो जाता है।