ज़रा कल्पना कीजिए कि देश का एक शीर्ष नेता किसी ऐसे पत्रकार या सम्पादक से मिल रहा है जिसे उसका घोषित रूप से आलोचक माना जाता है। यह मुलाक़ात दोनों पक्षों के लिए असहज हो सकती है। ज़ाहिर है कि दोनों ही अपनी-अपनी तऱफ से शिष्टता की स्थापित आचार-संहिताओं का पालन करके उस भेंट की औपचारिकताओं को निबाहने की कोशिश करेंगे। लेकिन, हमारी यह कल्पना आज के जमाने में राजनीति और मीडिया के संबंधों पर फिट नहीं बैठती। आज के ज़माने में तो भरी प्रेस कांफ़्रेंस में अमेरिका के राष्ट्रपति सीएनएन (जो उनके आलोचक के तौर पर जाना जाता है) के नुमाइंदे के सवाल के जवाब में कहते हैं : ‘नो, यू आर फ़ेक न्यूज़।’