उत्तराखंड के जिस सुरंग में पिछले साल नवंबर में हादसा हुआ था उसके निर्माण में लगी कंपनी फिर से सुर्खियों में है। तब वह कंपनी सुरंग में हादसे को लेकर और सुरक्षा में कथित लापरवाही को लेकर चर्चा में थी, इस बार इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर। हैदराबाद स्थित नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड यानी एनईसी ने 55 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे और पूरा का पूरा चंदा भाजपा को दे दिया। चुनाव आयोग द्वारा सार्वजनकि की गई जानकारी में यह आँकड़ा सामने आया है।
चुनाव आयोग ने इलेक्टोरल बॉन्ड की जो जानकारी सार्वजनिक की है उसमें वह यूनिक नंबर भी शामिल है जिससे चुनावी बॉन्ड को खरीदने वाले और उसको भुनाने वाले का मिलान किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद एक दिन पहले ही एसबीआई ने यह जानकारी चुनाव आयोग को दी है। सुप्रीम कोर्ट की सख्ती की वजह से यह महज कुछ गिने-चुने दिनों में ही पूरी जानकारी सार्वजनिक हो गई, जबकि एसबीआई पहले क़रीब चार महीने का समय मांग रहा था।
भारतीय चुनाव आयोग यानी ईसीआई ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप बॉन्ड संख्या सहित चुनावी बॉन्ड का पूरा डेटा अपनी वेबसाइ पर प्रकाशित कर दिया है। इसमें चंदा देने वालों की उन राजनीतिक पार्टियों से मिलान करने की संख्या भी है जिन्हें उनका चंदा मिला है।
नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड यानी एनईसी के चुनावी बॉन्ड को लेकर भी इसी से जानकारी मिली है। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार कंपनी ने 19 अप्रैल, 2019 और 10 अक्टूबर, 2022 के बीच प्रत्येक 1 करोड़ रुपये के 55 चुनावी बॉन्ड खरीदे।
सिल्क्यारा-बारकोट सुरंग एक एकल-ट्यूब सुरंग है जो दो परस्पर जुड़े गलियारों में बंटी है। उत्तराखंड में 4.5 किलोमीटर लंबी सुरंग परियोजना केंद्र की 900 किलोमीटर लंबी चार धाम यात्रा ऑल वेदर रोड का हिस्सा है। इसका उद्देश्य चार तीर्थ स्थलों तक कनेक्टिविटी में सुधार करना है।
सिल्क्यारा-बारकोट सुरंग परियोजना को 2018 में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति द्वारा मंजूरी दी गई थी। इसको 2022 में पूरा किया जाना था, लेकिन इसकी समय सीमा बढ़ा दी गई है।
पीटीआई ने ख़बर दी है कि बॉन्ड को लेकर नवयुग इंजीनियरिंग को भेजी गई क्वेरी का कोई जवाब नहीं मिला है।
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